देशभर में एक साथ मॉनसून की शुरुआत के कारण चाय की मांग धीमी पड़ गई है, जिससे कई नीलामी केंद्रों पर बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. व्यापार सूत्रों के मुताबिक, आमतौर पर बरसात के मौसम में चाय की स्थानीय मांग घट जाती है, जिससे कीमतों में गिरावट आती है. साउथ इंडिया टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन दीपक शाह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से नीलगिरी और कोटागिरी क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है, जिससे चाय की पत्तियों की तुड़ाई प्रभावित हो रही है. वहीं, कुन्नूर चाय बाजार में चाय की कीमतें 25 रुपये प्रति किलो तक गिरी हैं.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, चेयरमैन दीपक शाह ने कहा कि अगर बारिश लगातार जारी रही, तो उत्पादन पर असर पड़ेगा और इससे कीमतें और बढ़ सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि रात की बारिश और सुबह की धूप फसल के लिए आदर्श होती है. साथ ही, कुन्नूर नीलामी में बड़ी मात्रा में CTC ग्रेड की चाय की आवक का भी कीमतों पर असर हो रहा है. अप्रैल के बाद नीलामी में चाय की अच्छी आवक सामान्य बात है. नीलगिरी बॉटलिफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजयन कृष्णमूर्ति ने कहा कि लगातार बारिश के कारण चाय की पत्तियों की तुड़ाई बाधित हो रही है और बिजली कटौती की वजह से फैक्ट्रियों में उत्पादन भी रुक रहा है.
25 रुपये किलो सस्ती हुई चाय
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि बारिश कुछ हफ्ते और चलेगी, जिससे तुड़ाई चक्र और ज्यादा प्रभावित होगा. उनके मुताबिक, पिछले एक महीने में कुन्नूर चाय बाजार में चाय की कीमतें 25 रुपये प्रति किलो तक गिरी हैं, जबकि हरी पत्तियों की कीमत 6-7 रुपये गिरकर 17 रुपये रह गई है. उन्होंने कहा कि प्रमुख खरीदारों (ब्लेंडर्स) ने यह सोचकर नीलामी से दूरी बना ली है कि कीमतें और गिर सकती हैं. वे सिर्फ चुनिंदा चाय ही कम कीमतों पर खरीद रहे हैं. अधिक आवक और कम कीमतों के चलते कई चाय लॉट नीलामी से वापस ले लिए गए.
ये देश चाय खरीदने में दिखा रहे दिलचस्पी
नीलामीकर्ता फोर्ब्स, इवार्ट एंड फिगिस ने कहा कि बाजार में कम गुणवत्ता वाली और साधारण चाय की बड़ी मात्रा वापस ले ली गई. हालांकि, एक चाय निर्यातक ने कहा कि खाड़ी देशों, ईरान, इराक और ट्यूनिशिया से पारंपरिक (ऑर्थोडॉक्स) चाय की मांग अच्छी बनी हुई है. श्रीलंका में चाय की कीमतें बढ़ने के कारण ये खरीदार अब दक्षिण भारत से चाय खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.