बरसात का मौसम जहां खेती-किसानी के लिए राहत लाता है, वहीं पशुपालकों के लिए यह समय चुनौतियों से भरा होता है. इस मौसम में नमी, गंदगी और उमस के कारण पशुओं को बीमारियां घेर लेती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों के लिए कुछ जरूरी ‘क्या करें और क्या न करें’ वाले सुझाव जारी किए हैं. अगर इन बातों को ध्यान में रखा जाए, तो बरसात के मौसम में भी पशुओं को स्वस्थ और सुरक्षित रखा जा सकता है.
पशुशाला की मरम्मत और सफाई सबसे जरूरी
बरसात शुरू होने से पहले ही पशुशाला की छत की मरम्मत कर लें, ताकि बारिश का पानी टपक कर अंदर न आए. खिड़कियां खुली रखें ताकि हवा का आवागमन होता रहे. उमस और गर्मी से राहत के लिए पंखों का इस्तेमाल करें. पशुशाला की सफाई बहुत जरूरी है- हर दिन फिनाईल या अन्य कीटाणुनाशक से सफाई करें ताकि बैक्टीरिया और संक्रमण से बचाव हो सके. साथ ही, मल-मूत्र की निकासी का सही इंतजाम भी करें ताकि गंदगी जमा न हो.
साफ पानी और चारा- दोनों की सही व्यवस्था
पशुओं के लिए ताजा और साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. बरसात के मौसम में गंदे पानी से कई बीमारियां फैल सकती हैं, इसलिए कोशिश करें कि उन्हें बाल्टी से साफ पानी पिलाया जाए. चारा और पानी की व्यवस्था पशुशाला के पास ही करें ताकि बारिश में ले जाने की दिक्कत न हो. ध्यान रखें कि पशुशाला के आसपास पानी जमा न हो, वरना मच्छरों और परजीवियों का प्रकोप बढ़ सकता है.
बीमारियों से बचने के लिए पहले ही करवाएं टीकाकरण
बरसात से पहले ही पशुओं को संक्रामक रोगों के खिलाफ टीका लगवा दें. इस मौसम में गीलेपन और नमी के कारण गलघोंटू, खुरपका–मुंहपका, लंगड़ी बीमारी जैसी कई बीमारियां फैल सकती हैं. सरकार समय-समय पर टीकाकरण अभियान चलाया जाता है- उसमें भाग जरूर लें.
मच्छरों और कीड़ों से रखें बचाव
बरसात के मौसम में मच्छर, मक्खियां और अन्य कीड़े बहुत तेजी से बढ़ते हैं, जो पशुओं के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकते हैं. हर कुछ दिनों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. मरे हुए पशुओं का निस्तारण सही तरीके से करें– तालाब, नदी, चारागाह या सार्वजनिक रास्तों से दूर. इससे न केवल संक्रमण रुकेगा, बल्कि अन्य पशुओं को भी खतरा नहीं होगा.
इन बातों का जरूर रखें ध्यान-क्या न करें
- पशुघर में बहुत अधिक संख्या में पशु न रखें, वरना उनमें बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता है.
- बारिश के दौरान पशुओं को बाहर न निकालें. फिसलन और बिजली का खतरा हो सकता है.
- पानी एक जगह इकट्ठा न होने दें, इससे मच्छर पनपते हैं और पशु परजीवी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.
- पशुओं को नालों, तालाबों या जलाशयों में न ले जाएं- इसमें डूबने, बीमार होने या चोट लगने का डर रहता है.
- बिजली के खंभे या तारों के पास पशु न बांधें, क्योंकि बरसात में करंट लगने का खतरा बहुत बढ़ जाता है.
सरकार की सलाह, पशुपालकों के लिए वरदान
बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय की ओर से जारी ये सुझाव न केवल पशुओं की सेहत को बेहतर बनाएंगे, बल्कि पशुपालकों की आर्थिक हानि से भी रक्षा करेंगे. अगर समय पर सावधानी बरती जाए, तो बरसात का मौसम भी आराम से निकाला जा सकता है. सरकार का यह प्रयास है कि पशुधन के माध्यम से ग्रामीण परिवारों के जीवन में सुधार आए और उनके जानवर स्वस्थ रहें. याद रखे– थोड़ी सी सावधानी, आपके पशुओं को दे सकती है लंबी और सेहतमंद जिंदगी.