ड्रॉप्सी बीमारी: यह मछलियों की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है, जिसमें मछली का शरीर फूलने लगता है और उसकी मौत हो सकती है. बचाव के लिए तालाब में समय-समय पर चूना डालना बेहद असरदार तरीका है, क्योंकि यह पानी को संतुलित और स्वच्छ बनाए रखता है.
सफेद चकता (White Spot): इस बीमारी में मछलियों के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं. अगर ध्यान न दिया जाए तो ये धब्बे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं. इस समस्या को रोकने के लिए तालाब में कुनीन डालना सबसे अच्छा उपाय है.
गिलरॉट बीमारी: यह बीमारी मछलियों के गलफड़ों पर हमला करती है जिससे वे सही तरह से सांस नहीं ले पातीं. लंबे समय तक रहने पर यह घातक साबित हो सकती है. बचाव के लिए मछलियों को समय-समय पर एंटी ब्राइन घोल में नहलाना बहुत जरूरी है.
लार्नियां रोग: यह संक्रमण भी मछलियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है और उनका विकास रुक सकता है. इससे बचने के लिए तालाब में नियमित अंतराल पर पोटेशियम परमैंगनेट डालना सबसे कारगर उपाय है.
फफूंद (Fungal Infection): गंदे तालाब और अस्वच्छ वातावरण में मछलियों को अक्सर फफूंद की समस्या हो जाती है. इससे उनकी त्वचा और पंख खराब होने लगते हैं. इस बीमारी को रोकने के लिए मछलियों को नमक के घोल से नहलाना बेहद फायदेमंद होता है.
मछलियों को बीमारियों से बचाने के लिए तालाब की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. पानी की गुणवत्ता, संतुलन और दवाओं का समय-समय पर इस्तेमाल करना, मछलियों को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है और नुकसान से बचाता है.