Stubble Burning: दिवाली के त्योहार की रौनक के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है. धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली को जलाने की यह प्रथा सालों से चली आ रही है, लेकिन इससे वायु प्रदूषण में भारी इजाफा हो रहा है. दिवाली में पटाखों के शोर और राशनी के बीच कई किसानों ने मौका देखते हुए पराली भी जलाई. वहीं इस साल भी तरनतारन और अमृतसर जिलों में पराली जलाने के मामलों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पराली जलाने से न केवल पंजाब की हवा प्रदूषित हो रही है, बल्कि इसका असर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों में भी देखने को मिल रहा है.
तरनतारन और अमृतसर में सबसे ज्यादा मामले
पंजाब में अब तक पराली जलाने की कुल घटनाएं 308 तक पहुंच चुकी हैं. इनमें तरनतारन में 113 और अमृतसर में 104 मामले दर्ज किए गए हैं. किसानों का कहना है कि अक्टूबर और नवंबर में रबी की फसल की बुवाई जल्दी शुरू करनी होती है, इसलिए खेतों को साफ करने का यह तरीका उन्हें सुविधाजनक लगता है. हालांकि, इससे वातावरण में जहरीली गैसें फैलती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और दिवाली के अवसर पर खुशियों पर भी असर डालती हैं.
अन्य जिलों की स्थिति
तरनतारन और अमृतसर के अलावा फिरोजपुर में 16, पटियाला में 15 और गुरदासपुर में सात पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं. 11 अक्टूबर को कुल घटनाओं की संख्या 116 थी, जो अब बढ़कर 308 हो गई है. यह साफ संकेत है कि किसानों द्वारा पराली जलाने की प्रक्रिया रुक नहीं रही है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने अब तक 132 मामलों में कुल 6.5 लाख रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवजा लगाया है, जिसमें से 4.70 लाख रुपये की राशि वसूली भी की जा चुकी है.
कानूनी कार्रवाई और जुर्माने
पंजाब में पराली जलाने के खिलाफ अब तक 147 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इनमें तरनतारन में 61 और अमृतसर में 37 एफआईआर शामिल हैं. भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत यह कार्रवाई की गई है, जो लोक सेवक द्वारा जारी आदेशों की अवज्ञा से संबंधित है. सरकार लगातार किसानों को अवशेष प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा के नियमों का पालन करने के लिए निर्देशित कर रही है, लेकिन कई जगह इसका पालन नहीं हो पा रहा है.
दिल्ली-एनसीआर पर प्रदूषण का असर
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 पार कर गया है. राजधानी के कई इलाके रेड जोन में आ चुके हैं. इससे सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. दिवाली के मौके पर भी लोगों के लिए साफ हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है.