Strawberry Cultivation: देश में खेती का तरीका समय के साथ तेजी से बदल रहा है. अब किसान सहफसली खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इससे किसानों को कम लगात में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. खास बात यह है कि अब किसान पारंपरिक फसलों के अलावा विदेसी फसलों के साथ भी सहफसली विधि अपना रहे हैं. अभी देश में हजारों नहीं लाखों ऐसे किसान हैं, जो सहफसली से अपनी किस्मत बदल रहे हैं. दरअसल, सहफसली खेती की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक ही खेत में दो या उससे ज्यादा फसलें एक साथ उगाई जाती हैं. ऐसे में अगर आप सहफसली विधि से खेती करना चाहते हैं, तो आपके लिए स्ट्रॉबेरी के साथ लहसुन एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, सहफसली खेती सिर्फ उत्पादन बढ़ाने का तरीका नहीं है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है. साथ ही कीटों और बीमारियों का खतरा कम होता है. इसके अलावा किसान को अधिक मुनाफा और आर्थिक सुरक्षा भी मिलती है. विशेषज्ञों के अनुसार, फसल विविधता से जल संरक्षण भी बेहतर होता है और मृदा क्षरण कम होता है.
स्ट्रॉबेरी और लहसुन की खेती
दरअसल, स्ट्रॉबेरी और लहसुन की खेती एक साथ की जा सकती है, क्योंकि ये दोनों फसलें एक ही मौसम में उगाई जाती हैं. ऐसे में यह तकनीक किसानों के लिए फायदेमंद सौदा साबित हो सकती है. ऐसे भी स्ट्रॉबेरी की बेलें जमीन को ढक लेती हैं, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और लहसुन को भरपूर पोषण मिलता है. वहीं, लहसुन की तेज खुशबू और इसके जैविक गुण स्ट्रॉबेरी को लगने वाले कीटों और रोगों से बचाते हैं. इस तरह दोनों फसलें एक-दूसरे की मदद करती हैं और उत्पादन भी बढ़ता है. यह सहफसली खेती का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिससे किसान कम जमीन में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
इस तरह करें सहफसली विधि से खेती
हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान स्ट्रॉबेरी और लहसुन की सहफसली खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ आसान तकनीकी बातों का ध्यान रखना जरूरी है. सबसे पहले खेत में मोटे और ऊंचे मेड़ (बेड) तैयार करें. इसके बाद स्ट्रॉबेरी के पौधों को मेड़ के बीच में लगाएं. लहसुन की कली (फलियां) को मेड़ के दोनों किनारों पर बोएं. इसके अलावा, अगर आप मल्चिंग पेपर (प्लास्टिक या ऑर्गेनिक कवर्स) का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे नमी बरकरार रहती है, खरपतवार नहीं उगते और दोनों फसलें अच्छे से विकसित होती हैं. इससे न सिर्फ उत्पादन में बढ़ोतरी होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. यह तरीका कम लागत में बेहतर मुनाफा देने वाला साबित हो सकता है.