हरियाणा के सिरसा जिले में पिछले तीन महीनों में 31,000 से ज्यादा परिवारों को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और अंत्योदय अन्न योजना की सूची से हटा दिया गया है. यह कार्रवाई सिटिजन रिसोर्सेज इंफॉर्मेशन डिपार्टमेंट (CRID) द्वारा की गई सख्त जांच के बाद की गई है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सिर्फ असली जरूरतमंदों को ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिले. हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में नाम काटे जाने को लेकर अब इस प्रक्रिया की सटीकता और निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, CRID ने जांच के लिए डिजिटल डेटा जैसे इनकम टैक्स रिटर्न, गाड़ी रजिस्ट्रेशन और कृषि बिक्री की जानकारी का इस्तेमाल किया. इसके आधार पर 8,779 राशन कार्डों को अमान्य घोषित कर दिया गया, जिनमें से 8,646 राज्य बीपीएल और 133 अंत्योदय कार्डधारक थे. मई में जिले में कुल राशन कार्डधारकों की संख्या 2,91,932 थी, जो जुलाई में घटकर 2,60,822 रह गई है. इसके चलते जिले के 485 राशन डिपो में अगले महीने से राशन की आपूर्ति भी कम हो सकती है.
अपात्र परिवारों को सूची से हटाया गया
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी मुकेश ने इस डीलिस्टिंग की पुष्टि की और इसे कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा कि 31,000 से ज्यादा अपात्र परिवारों को सूची से हटाया गया है. जांच अभी जारी है और अगस्त तक और नाम हटाए जा सकते हैं. हालांकि, पूर्व पार्षद नीतू सोनी ने इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जांच में कई गरीब परिवारों के राशन कार्ड गलत तरीके से रद्द कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कई लोगों के नाम ऐसे वाहनों से जोड़े गए हैं, जो असल में उनके हैं ही नहीं.
उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई
उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. सोनी ने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इतनी बड़ी संख्या में नाम काटे गए हैं. अप्रैल में भी इसी तरह की कार्रवाई हुई थी, जिससे हजारों परिवार प्रभावित हुए थे. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को राजनीतिक चाल बताते हुए आरोप लगाया कि चुनाव से पहले वोट बैंक के लिए तेजी से राशन कार्ड बनाए गए थे और अब सरकार पर बोझ कम करने के लिए उतनी ही जल्दी उन्हें रद्द किया जा रहा है.
रोजमर्रा के खाने के लिए भी संघर्ष
उन्होंने कहा कि जो परिवार पहले कम से कम दो वक्त की रोटी पाते थे, अब उन्हें रोजमर्रा के खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. कई लोग एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर दौड़ लगा रहे हैं, ताकि अपनी पात्रता साबित कर सकें और दोबारा राशन कार्ड बनवा सकें.