Coriander Mandi Rate: देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में धनिया के रेट में गिरावट आई है. इससे किसान से लेकर कारोबारियों तक को नुकसान का सामना करना पड़ा है. 7 जुलाई को बारां जिले की अटरू मंडी में धनिया का मैक्सिमम रेट 7180 रुपये क्विंटल था, जो तीन दिन बाद यानी 10 जुलाई को बढ़ने के बजाए और गिरकर 7080 रुपये क्विंटल हो गया. यानी महज 3 तीन के अंदर ही धनिया के रेट में 100 रुपये क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई. ऐसे में किसानों और कारोबारियों की परेशानी बढ़ गई.
AgMarknet के आंकड़ों के मुताबिक, धनिया के केवल मैक्सिमम प्राइस में गिरावट नहीं आई है, बल्कि मॉडल प्राइस और मिनिमम प्राइस भी कम हुए हैं. 7 जुलाई को अटरू मंडी में धनिया का मिनिमम रेट जहां 6000 रुपये क्विंटल था, वहीं 10 जुलाई को गिरकर 5650 रुपये क्विंटल हो गया. यानी मिनिमम रेट में भी 350 रुपये क्विंटल की गिराट आई है. इसी तरह 7 जुलाई को धनिया का मॉडल प्राइस 6590 रुपये क्विंटल था, जो 10 जुलाई को गिरकर 6365 रुपये क्विंटल हो गया, जो कीमत में 3.41 फीसदी की कमी को दर्शाता है.
हल्दी की कीमत में भी आई कमी
धनिया के बाद हल्दी के रेट में भी गिरावट आई है. तेलंगाना के निजामानबाद स्थित मंडियों में 8 जुलाई को फिंगर वैरायटी हल्दी का मैक्सिमम रेट 13333 रुपये क्विंटल था, जो दो दिन बाद 10 जुलाई को गिरकर 13271 रुपये क्विंटल हो गया. यानी कीमत में 72 रुपये क्विंटल की गिरावट आई है. इसी तरह मिनिमम प्राइस में भी कमी आई है. 8 जुलाई को मिनिमम रेट 9511 रुपये क्विंटल था, जो 10 जुलाई को कम होकर 9500 रुपये क्विंटल हो गया. खास बात यह है कि मॉडल प्राइस में बंपर उछाल देखने को मिला है. 8 जुलाई को हल्दी का मॉडल रेट 11009 रुपये क्विंटल था, जो 10 जुलाई को बढ़कर 11500 रुपये क्विंटल हो गया. यानी रेट में 491 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है.
धनिया के रकबे में भारी गिरावट
बता दें यहां पर मैने धनिया के लिए राजस्थान की मंडियों से आंकड़े लिए हैं, क्योंकि राजस्थान देश का सबसे बड़ा धनिया उत्पादक राज्य है. इसकी देश के कुल धनिया उत्पादन में करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है. यहां के हाड़ौती क्षेत्र में किसान धनिया की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. लेकिन अब किसानों का रुझान धनिया के प्रति कम हो रहा है. अब यहां के किसान दूसरी फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. हाड़ौती में करीब 10 साल पहले एक लाख हेक्टेयर में धनिया की खेती होती थी, लेकिन अब यह रकबा कम होकर 40 हजार हेक्टेयर के आसपास ही रह गया है. यानी रकबे में करीब 60 फीसदी की गिरावट है. वहीं, तेलंगाना के निजामाबाद जिले में किसान सबसे अधिक हल्दी उगाते हैं.