बिहार सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर एक्शन मोड में है. मंगलवार को कृषि भवन में उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें उनका फोकस उन किसानों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने पर रहा जो पुश्तैनी टोपोलैंड या असर्वेक्षित भूमि पर वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन कागजी जमीन के अभाव के चलते अब तक सरकारी अनुदानों और योजनाओं से वंचित रह जाते हैं.
तीन श्रेणियों की टोपोलैंड
डिप्टी सीएम ने बताया कि बिहार में बड़ी संख्या में किसान तीन तरह की टोपोलैंड श्रेणियों में खेती करते हैं जिनमें सामान्य टोपोलैंड, असर्वेक्षित टोपोलैंड और नदी के दियारा क्षेत्र शामिल हैं. विशेषकर दियारा क्षेत्रों की भूमि समय-समय पर नदी में समाहित हो जाती है, जिससे स्थायी सेटलमेंट संभव नहीं हो पाता. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ऐसी परिस्थितियों में टेंपररी सेटलमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाएगी ताकि किसानों को अस्थायी रूप से भूमि का उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हो सके.
बनेगी उच्च स्तरीय नीति, होगा साइट विजिट
उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय नीति बनाई जाएगी. इसके अलावा, राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक टीम द्वारा साइट विजिट कर जमीनी स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा और एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. जिसे नीति निर्माण में वास्तविक स्थिति का ध्यान रखा जा सकेगा.
घोड़परास से फसल को नुकसान, सरकार सख्त
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. सुनील कुमार और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में घोड़परास (नीलगाय) से हो रही फसल क्षति पर भी चर्चा की गई. जिसमें किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए यह तय किया गया कि जिन जिलों में घोड़परास की संख्या अधिक है, वहां किसान आवेदन के माध्यम से प्रशासन को अवगत कराएंगे.
प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ेगी शूटरों की संख्या
वहीं प्रशासन इस सूचना के आधार पर कार्यवाही करेगा. जिला पंचायती राज पदाधिकारी, वन विभाग और पंचायतों के मुखिया मिलकर तय करेंगे कि कहां और कितनी संख्या में शूटरों की जरूरत है. इससे प्रभावित इलाकों में घोड़परास की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण किया जा सकेगा.
किसानों की आजीविका की सुरक्षा पर जोर
सरकार का लक्ष्य है कि समय रहते जरूरी कदम उठाकर किसानों को फसल क्षति से राहत दी जाए और उनके आजीविका पर असर न पड़े. सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि तुरंत कार्रवाई करें और किसानों को जल्द से जल्द लाभ मिले. यह पहल बिहार के बटाईदार, भूमिहीन और सीमांत किसानों के लिए राहत की बड़ी उम्मीद लेकर आई है. सरकार चाहती है कि खेती से जुड़े हर किसान तक योजनाओं का लाभ पहुंचे और उनकी मेहनत बेकार न जाए.