भारत के कई हिस्सों में अब खेत नहीं, तालाब भी कमाई के साधन बनते जा रहे हैं. खासकर झींगा पालन ने किसानों को एक नई दिशा दी है. सरकार की नई योजनाओं और फायदेमंद नीतियों के चलते अब यह व्यवसाय गांव-देहात तक फैल रहा है. कम लागत, आसान देखभाल और बढ़िया बाजार मूल्य के चलते हजारों किसान झींगा पालन से लाखों की कमाई कर रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर झींगा पालन कैसे बन गया है मुनाफे का सौदा.
अब हर जिले में तैयार होंगे झींगा पालन केंद्र
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, झींगा पालन को मजबूत करने के लिए सरकार ने देशभर में विशेष ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क बनाने की योजना शुरू की है. इन केंद्रों के ज़रिए किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला ब्रूड-स्टॉक (झींगा के पालन योग्य माता-पिता) मिलेगा, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होगा. साथ ही, इन केंद्रों के जरिए किसानों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी दी जाएगी. इसका सीधा फायदा यह होगा कि छोटे और मध्यम किसान भी इस व्यवसाय में उतर सकेंगे और स्थानीय स्तर पर ही उन्हें जरूरी संसाधन मिल जाएंगे.
सस्ते संसाधनों से घटेगी लागत, बढ़ेगा मुनाफा
सरकार की नई नीतियों के तहत झींगा पालन में उपयोग होने वाले दो प्रमुख संसाधनों- फीड (आहार) और ब्रूडस्टॉक- के आयात पर लगने वाले शुल्क में भारी कटौती की गई है. पहले जहां इन पर 10 फीसदी से 15 प्रतिशत तक टैक्स लगता था, अब इसे घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है.
इसका मतलब यह है कि अब किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला झींगा आहार और ब्रूडस्टॉक कम कीमत में मिलेगा, जिससे उनकी कुल उत्पादन लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा. यह कदम खास तौर पर उन किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है जो सीमित पूंजी में व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं.
गांवों में भी मुमकिन झींगा पालन
- झींगा पालन एक तकनीकी प्रक्रिया जरूर है, लेकिन इसे अपनाना उतना ही आसान भी है. इसकी शुरुआत तालाब बनाने से होती है.
- तालाब के लिए दोमट या क्ले सिल्ट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, क्योंकि यह पानी रोकने में सक्षम होती है.
- तालाब की सफाई के लिए 250 से 1000 किलो चूना प्रति हेक्टेयर की मात्रा में डाला जाता है, जिससे पानी साफ और रोगाणु-मुक्त बना रहता है.
- झींगा को दिए जाने वाले भोजन में आमतौर पर सूजी, मैदा और उबले अंडे मिलाकर डाला जाता है. इनके आहार में 80 फीसदी शाकाहारी और 20 प्रतिशत मांसाहारी तत्व शामिल किए जाते हैं, जिससे उनका विकास तेज होता है.
चार महीने में कमाए दो लाख से ज्यादा
झींगा पालन में सबसे खास बात है इसका तेजी से मुनाफा देना. एक बार तालाब में लार्वा डालने के बाद, 4 से 5 महीने में झींगे 50 से 70 ग्राम तक वजन पा लेते हैं. उस समय उन्हें निकालकर बाजार में बेचना सबसे सही रहता है. मौजूदा समय में झींगे की औसत कीमत 250 रुपये प्रति किलो तक है. अगर सही देखभाल की जाए तो एक एकड़ जल क्षेत्र से किसान 2 लाख रुपये या उससे अधिक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.
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