देरी से फूट रहे सरसों के बीज- तनाव में कई राज्यों के किसान, जानिए आप पर क्या पड़ेगा असर?

हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में पिछले साल की मुकाबले इस साल उसी अवधि में 7.2 प्रतिशत कम सरसों की बुवाई हुई है.

Kisan India
Noida | Published: 23 Mar, 2025 | 01:00 PM

सर्दियों के मौसम में अधिक तापमान किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. लगातार ऐसा मौसम रबी फसलों को, खासकर सरसों की फसल को प्रभावित कर रहा है. सरसों की खेती के लिए राजस्थान प्रमुख राज्य है, जहां अधिक तापमान के कारण सरसों की खेती में कमी आई है.

हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में पिछले साल की मुकाबले इस साल उसी अवधि में 7.2 प्रतिशत कम सरसों की बुवाई हुई है. जिन किसानों ने अधिक तापमान में बीजों की बुवाई की हैं तो इसके कारण अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और पौधों पर बीमारियां भी बढ़ गई हैं.

इस व्यापार से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि भारत में रेपसीड और सरसों की बुआई में अधिक कीमतें होने के बाद भी गिरावट आने की संभावना है. इसके पीछे बड़ा कारण ये भी माना जा रहा कि किसान बुवाई के दौरान अधिक तापमान की वजह से अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. ये वो फसलें हैं, जो खासकर गर्मियों में बोई जाती हैं और अच्छा मुनाफा देती हैं.

तेल की मांग पर असर

इस साल रबी सीजन में बोई जाने वाली सरसों का प्रोडक्शन कम होने से इसका सीधा असर खाद्य तेल की मांग पर पड़ेगा. खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए फिर सरकार को आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी. खाद्य तेलों के आयात के मामले में भारत का स्थान दुनिया में सबसे ऊपर है.

इस स्थिति में यदि सरसों का प्रोडक्शन कम होता है, तो तेल की मांग को पूरा करने के लिए सोया ऑयल, पाम ऑयल और सूरजमुखी तेल जैसे खाद्य तेलों पर निर्भर होना पड़ेगा. जिससे इसकी महंगी विदेशी खरीद बढ़ानी पड़ सकती है.

राजस्थान के किसान चिंतित

जयपुर स्थित प्रमुख व्यापारी ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर के पहले तीन सप्ताह में तापमान सामान्य से अधिक रहा, जो फसल के लिए उचित नहीं था. सरसों का देश का सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में पिछले कुछ हफ्तों में अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 7 डिग्री सेल्सियस तक अधिक रहा है.

इसी सिलसिले में धौलपुर के किसान ने बताया कि 15 एकड़ (6.07 हेक्टेयर) जमीन पर रेपसीड बोई थी, लेकिन पांच एकड़ पर या तो फसल ठीक से अंकुरित नहीं हुई या अंकुरित होने के तुरंत बाद मुरझा गई. इसके बाद उन्होंने गेहूं और आलू बोने का फैसला लिया गया.

वह कहतें हैं “इस साल, मैंने रेपसीड का रकबा सामान्य 20 एकड़ के बजाय 10 एकड़ तक घटा दिया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर तक राजस्थान में 30 लाख हेक्टेयर जमीन पर रेपसीड बोई गई थी, जो पिछले साल की तुलना में 7.2 प्रतिशत कम है.

चतर ने कहा कि अधिक तापमान ने न सिर्फ राजस्थान बल्कि  गुजरात ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में भी बुवाई को प्रभावित किया है, जिससे पिछले साल की तुलना में रेपसीड के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है.

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Published: 23 Mar, 2025 | 01:00 PM

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