भेड़ों में तेजी से फैल रहा खतरनाक PPR रोग, समय पर पहचान नहीं हुई तो खत्म हो सकता है पूरा झुंड

ग्रामीण इलाकों में भेड़-बकरियों में PPR यानी बकरी प्लेग तेजी से फैल रहा है. यह बीमारी जानवरों में बुखार, कमजोरी और मौत का बड़ा कारण बन रही है. समय पर पहचान और इलाज न मिले तो पूरा झुंड नष्ट हो सकता है. इसलिए पशुपालकों के लिए सतर्क रहना और टीकाकरण कराना बेहद जरूरी है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 22 Nov, 2025 | 06:45 AM

PPR Virus : ग्रामीण इलाकों में अक्सर एक बात सुनने को मिलती है-बकरी तो गरीब आदमी की बैंक होती है. लेकिन सोचिए, अगर यही बैंक अचानक बीमार होकर गिरने लगे, दूध देना बंद कर दे और एक-एक कर मरने लगे तो किसान पर क्या बीतेगी? आजकल भेड़-बकरियों में एक ऐसी बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसका नाम सुनकर ही पशुपालक घबरा जाते हैं-PPR यानी बकरी प्लेग. यह रोग इतना खतरनाक है कि कई बार पूरा झुंड ही खत्म हो जाता है. इसलिए इसे पहचानना और समय पर बचाव करना बेहद जरूरी है.

क्या है PPR रोग और क्यों है सबसे खतरनाक?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, PPR को आमतौर पर बकरियों में महामारी  कहा जाता है. यह एक तेज़ी से फैलने वाली वायरल बीमारी है, जो पैरामाइक्सोवायरस नाम के वायरस से होती है. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह बीमारी खासकर भेड़ और बकरियों को ही ज्यादा पकड़ती है. एक बार लाग लग जाए तो झुंड से झुंड संक्रमित हो जाता है और इलाज नहीं मिलने पर मृत्यु दर 50 से 80 फीसदी तक पहुंच जाती है. कई गंभीर मामलों में यह दर 100 प्रतिशत तक चली जाती है. भारत में हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ इस बीमारी की वजह से होता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.

कैसे पहचानें कि आपकी भेड़-बकरी को PPR हो गया है?

PPR की शुरुआत तेज बुखार से होती है. कुछ ही समय बाद मुंह के अंदर दर्दनाक छाले बन जाते हैं, जिससे जानवर खाने-पीने में असमर्थ हो जाते हैं. मुंह से बदबू आने लगती है और होंठों में सूजन आ जाती है. नाक और आंखों से चिपचिपा स्राव निकलने लगता है, जिससे आंखें खोलने में भी दिक्कत होती है. कई बार सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों में संक्रमण  हो जाता है. इसके बाद जानवरों को तेज दस्त लग जाते हैं, जो कई मामलों में खूनी भी हो सकते हैं. गर्भवती भेड़ों और बकरियों में यह रोग गर्भपात की बड़ी वजह माना जाता है. ज्यादातर हालात में संक्रमित पशु एक हफ्ते के भीतर मर जाते हैं अगर इलाज तुरंत न मिले.

शुरुआत में ही क्या करें ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके?

PPR तेज़ी से फैलने वाली बीमारी है, इसलिए सबसे पहला कदम होता है-बीमार जानवरों को तुरंत स्वस्थ झुंड से अलग करना. इससे रोग दूसरे पशुओं तक नहीं पहुंचता. इसके बाद पशु चिकित्सक  को तुरंत बुलाना चाहिए. आंख, मुंह और नाक पर जमे पदार्थ को साफ कपड़े या रुई से रोज दो बार साफ करना जरूरी है. मुंह के छालों पर 5 फीसदी बोरोग्लिसरीन लगाने से काफी राहत मिलती है. बीमार पशु को पौष्टिक, मुलायम और आसानी से पचने वाला चारा देना चाहिए ताकि उसकी ताकत बनी रहे. चिकित्सक द्वारा बताई गई एंटीबायोटिक दवाओं से दूसरे बैक्टीरियल संक्रमण को रोका जा सकता है, जिससे मृत्यु दर कम होती है.

PPR रोकने का सबसे असरदार तरीका-टीकाकरण

चाहे बीमारी कितनी भी गंभीर क्यों न हो, इसका एकमात्र पक्का और सुरक्षित समाधान है—टीकाकरण. PPR का टीका लगाने से भेड़-बकरियां लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं. वैक्सीन मजबूत प्रतिरोधक क्षमता बनाता है और वायरस का असर बहुत कम हो जाता है. टीका लगाने से पहले जानवर को कृमिनाशक दवा देना जरूरी है ताकि दवाई शरीर पर ठीक से असर कर सके. अगर आसपास के गांवों में यह बीमारी फैली हुई हो, तो सभी स्वस्थ बकरियों और भेड़ों का टीकाकरण कर देना चाहिए. इससे महामारी फैलने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है.

बीमारी बढ़े तो क्या करें और क्या नहीं करें?

अगर गांव या इलाके में PPR महामारी की तरह फैलने लगे तो नजदीकी पशु चिकित्सालय को तुरंत सूचना देना जरूरी है. मृत भेड़ या बकरियों को जमीन में दफनाने के बजाय जला देना चाहिए ताकि वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाए. बाड़े, खाने के बर्तन और पानी के बरतन की सफाई नियमित करनी चाहिए. स्वच्छता जितनी ज्यादा होगी, बीमारी उतनी कम फैलेगी. साथ ही ध्यान रखें कि बीमार पशुओं को कभी भी स्वस्थ झुंड में न छोड़ा जाए और टीकाकरण समय पर करवाया जाए.

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Published: 22 Nov, 2025 | 06:45 AM

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