IFFCO लगाएगा ब्राजील में पहला फर्टिलाइजर प्लांट, अब विदेश में चमकेगी भारतीय नैनो टेक्नोलॉजी

ब्राजील एक कृषि प्रधान देश है जहां मक्का, सोयाबीन, गन्ना और कॉफी जैसे फसलों की बड़ी पैमाने पर खेती होती है. IFFCO के अनुसार, पिछले दो सालों में ब्राजील के किसानों ने भारत से आयात की गई नैनो खाद का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें फसल की लागत घटाने और उपज बढ़ाने में मदद मिली.

नई दिल्ली | Published: 23 Jun, 2025 | 01:35 PM

भारत की प्रमुख सहकारी संस्था IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव) अब देश की सीमाओं से बाहर भी खेती में क्रांति लाने जा रही है. IFFCO ने अपनी पहली विदेशी नैनो खाद फैक्ट्री ब्राजील में लगाने का ऐलान किया है. यह फैक्ट्री ब्राजील की NANOFERT कंपनी के साथ मिलकर बनाई जा रही है और इसमें सालाना 45 लाख लीटर नैनो खाद तैयार की जाएगी.

क्यों खास है यह नैनो खाद फैक्ट्री?

यह फैक्ट्री एक तरह से IFFCO की वैश्विक यात्रा की शुरुआत मानी जा रही है. फैक्ट्री ब्राजील के पराना राज्य के कुरितिबा शहर में लगाई जा रही है. इस परियोजना में IFFCO की सहायक कंपनी IFFCO Nanoventions और NANOFERT के बीच 7:3 का साझेदारी समझौता हुआ है. यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि नैनो खादें परंपरागत यूरिया और डीएपी की तुलना में न केवल सस्ती हैं, बल्कि कम मात्रा में इस्तेमाल से भी अच्छी पैदावार देती हैं.

भारत से दुनिया तक पहुंचा नैनो यूरिया

IFFCO ने 2021 में देश में पहली बार नैनो यूरिया लिक्विड के रूप में लॉन्च किया था. इसके बाद 2023 में नैनो डीएपी भी बाजार में लाई गई. अब तक IFFCO करीब 50 देशों में 5 लाख से ज्यादा नैनो खाद की बोतलें एक्सपोर्ट कर चुका है, जिनमें अमेरिका, ब्राजील, नेपाल, स्लोवेनिया, मॉरिशस जैसे देश शामिल हैं.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार IFFCO के मैनेजिंग डायरेक्टर यूएस अवस्थी ने बताया कि नैनो खादों की स्वीकृति अभी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन इसके फायदे जब किसानों तक पहुंचेंगे, तो यह बदलाव तेज होगा.

ब्राजील में क्यों हो रही नैनो खाद की मांग?

ब्राजील एक कृषि प्रधान देश है जहां मक्का, सोयाबीन, गन्ना और कॉफी जैसे फसलों की बड़ी पैमाने पर खेती होती है. IFFCO के अनुसार, पिछले दो सालों में ब्राजील के किसानों ने भारत से आयात की गई नैनो खाद का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें फसल की लागत घटाने और उपज बढ़ाने में मदद मिली.

NANOFERT के चेयरमैन रितेश शर्मा ने बताया कि नैनो खाद के प्रयोग से मक्का और सोयाबीन में 10 फीसदी तक और गन्ने में 7 फीसदी से अधिक उत्पादन बढ़ा है.

45 किलो की यूरिया के बराबर एक बोतल

नैनो यूरिया 500 मिली की बोतल में आता है, जिसकी कीमत करीब 240 रुपये है. एक बोतल, 45 किलो की यूरिया की बोरियों के बराबर असर करती है. वहीं, नैनो डीएपी की बोतल की कीमत 600 रुपये है. इससे खाद की बर्बादी कम होती है और मिट्टी भी कम खराब होती है.

अब आएंगे नैनो जिंक और कॉपर

IFFCO ने जानकारी दी है कि वह जल्द ही नैनो जिंक और नैनो कॉपर जैसे लिक्विड पोषक तत्व भी लॉन्च करने जा रहा है. इससे किसानों को और बेहतर विकल्प मिलेंगे. अब तक IFFCO ने नैनो खाद के रिसर्च और उत्पादन में करीब 4,200 करोड़ रुपये का निवेश किया है और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है.

सरकार क्यों दे रही नैनो खाद को बढ़ावा?

सरकार का उद्देश्य है कि सब्सिडी वाली परंपरागत खादों पर निर्भरता कम हो और लागत घटे. 2025-26 में भारत सरकार ने खाद पर 1.67 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी का अनुमान लगाया है, जिसमें अकेले यूरिया की लागत उत्पादन के मुकाबले बहुत अधिक है (2,650 रुपये की लागत के मुकाबले 242 रुपये में बेचा जा रहा है).