आपने अकसर किसानों को गोबर से जैविक खाद बनाते देखा होगा जो कि फसलों के बेहतर विकास में अहम भूमिका निभाती है. लेकिन आज हम हमारी ‘चैंपियन किसान’ की सिरीज में जिन किसान की बात करने वाले हैं वो अपनी सोच और सराकरी मदद से गोबर का ऐसा इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनकी अच्छी खासी बचत हो रही है.
दरअसल, राजस्थान के दौसा जिले के सिकराय उपखंड क्षेत्र के डोलीका के रहने वाले किसान गिरिराज मीणा ने अपने घर में गोबर गैस का प्लांट लगाया है. इस गोबर को वे खेतों में खाद के रूप में तो इस्तेमाल करते ही हैं , साथ ही अपनी रसोई में भी गैस की जगह गोबर गैस का इस्तेमाल करते हैं.
कृषि विभाग और सरकारी सब्सिडी से मिली मदद
दौसा जिले के रहने वाले हमारे आज के चैंपियन किसान गिरिराज मीणा बताते हैं कि उन्होंने करीब 3 साल पहले जिले के कृषि विभाग की मदद से अपने घर में गोबर गैस प्लांट लगवाने का फैसला किया था. हांलांकि वे बताते हैं कि उनके परिवार के लोग पहले उनके इस फैसले से सहमत नहीं थे. लेकिन बाद में उनके समझाने पर परिवार के लोग भी गोबर गैस प्लांट लगवाने के लिए मान गए. किसान गिरिराज मीणा ने बताया कि गोबर गैस प्लांट लगवाने के लिए उन्हें सरकार से सब्सिडी भी मुहैया कराई गई थी.
कैसे बनती है गोबर गैस
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार किसान गिरिराज मीणा ने बताया कि उनके घर की औरतें गोबर को एक जगह इकट्ठा करके गोबर गैस प्लांट के ऊपर बनी टंकी में पानी के साथ मिलाकर घोल बना लेती हैं. इस घोल को महिलाएं गैस प्लांट के अंदर डालती हैं, जिसके बाद प्लांट में गैस बनती है. उन्होंने बताया कि प्लांट में लगे पाइप के माध्यम से गैस रसोई तक पहुंच जाती है और जो गोबर बचता है उसका इस्तेमाल खेतों में जैविक खाद के रूप में किया जाता है.
किसान मीणा बताते हैं कि इस गैस के माध्यम से खाना आराम से बन जाता है और गैस सिलेंडर की जरूरत भी नहीं होती. बता दें कि करीब पिछले 3 साल से गिरिराज मीणा गोबर गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं और गैस सिलेंडर नहीं भरवा रहे हैं.

Making of Gobas Gas from Gobar Gas Plant
कम लागत में ज्यादा फायदा
गोबर गैस का इस्तेमाल करने वाली तुलसी मीणा बताती हैं कि गोबर गैस प्लांट का इस्तेमाल करने में किसी भी करह का कोई खर्च नहीं आता है. उन्होंने बताया कि प्लांट लगवाते समय थोड़ा खर्च जरूर आया था लेकिन एक बार प्लांट लग जाने के बाद सालों तक किसी भी तरह की समस्या नहीं आती है. वे बताती हैं कि गोबर गैस बनाने के लिए हर दिन केवल पशुओं के गोबर की जरूरत होती है. जिससे एक ओर जहां गैस बनाकर रसोई में उसका इस्तेमाल किया जाता है वहीं गोबर से जैविक खाद बनाकर खेतों में डाला जाता है जिससे फसलों को सही पोषण मिलता है.