India Shrimp Export: भारत का झींगा (श्रिम्प) निर्यात फिर से संकट में पड़ता दिख रहा है. अमेरिकी सीनेटरों ने “इंडिया श्रिम्प टैरिफ एक्ट” नामक नया बिल पेश किया है. इसका उद्देश्य लुइसियाना राज्य के झींगा और कैटफिश उद्योग को भारत से आने वाले सस्ते झींगों से बचाना है. यह कदम भारतीय झींगा निर्यातकों के लिए चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है.
अमेरिकी सीनेटरों की पहल
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस बिल को अमेरिकी सीनेटर बिल कैसिडी और सिंडी हाइड-स्मिथ ने पेश किया. उनका कहना है कि भारतीय झींगा अमेरिकी बाजार में बहुत कम दामों पर बेचा जा रहा है, जिससे स्थानीय उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. बिल कैसिडी ने कहा, “लोग लुइसियाना का गंबो, जाम्बालाया और श्रिम्प एंड ग्रिट्स खाने के लिए दुनिया भर से आते हैं. हमारे झींगा और कैटफिश किसान उच्च मानकों को पूरा करते हैं. लेकिन सस्ते आयात से उनका कारोबार खतरे में है.”
सीनेटरों का आरोप है कि भारतीय झींगा “डंपिंग” के जरिए अमेरिकी बाजार में बेचा जा रहा है. इसका मतलब है कि बहुत कम दाम पर बड़ी मात्रा में झींगा भेजा जा रहा है. इससे न केवल स्थानीय मछुआरों और किसानों की आय प्रभावित हो रही है, बल्कि प्रोसेसिंग यूनिट्स, रेस्तरां और समुद्री भोजन से जुड़े नौकरियों पर भी असर पड़ रहा है.
कानून का उद्देश्य
“इंडिया श्रिम्प टैरिफ एक्ट” का मकसद अमेरिकी बाजार में समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है. इसके तहत भारतीय झींगा पर आयात शुल्क बढ़ाने या अन्य व्यापारिक प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. सीनेटर हाइड-स्मिथ ने कहा, “काफी समय से भारतीय झींगा अमेरिकी बाजार में बिना किसी नियम या दंड के बेचा जा रहा है. यह बिल घरेलू उद्योग को मजबूती देगा और अमेरिकी उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण समुद्री भोजन उपलब्ध कराएगा.”
भारत पर असर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा झींगा निर्यातक देश है और अमेरिकी बाजार में इसकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. अगर यह बिल कानून बनता है, तो भारतीय निर्यातकों को अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ सकता है. इसका असर उनकी लागत और अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा दोनों पर पड़ेगा. इससे किसानों और प्रोसेसिंग उद्योग को सीधे नुकसान होगा क्योंकि अमेरिका में भेजे जाने वाले झींगे से होने वाली कमाई घट सकती है.
पहले भी उठ चुके हैं ऐसे कदम
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिकी सांसदों ने भारतीय कृषि या समुद्री उत्पादों पर सख्ती दिखाई हो. फरवरी 2025 में भी बिल कैसिडी और उनके सहयोगियों ने “प्रायरिटाइजिंग ऑफेंसिव एग्रीकल्चरल डिस्प्यूट्स एंड एनफोर्समेंट एक्ट” पेश किया था. उस बिल का मकसद अमेरिकी चावल उद्योग को भारत और चीन से आने वाले सस्ते आयात से बचाना था.
भारतीय निर्यातकों की चिंता
भारतीय झींगा निर्यातक संगठन चिंता जता रहे हैं कि अगर यह कानून पास हो गया, तो उनकी लागत बढ़ेगी और निर्यात घट सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर समाधान ढूंढना होगा, ताकि लाखों किसानों और श्रमिकों की रोजगार सुरक्षा बनी रहे.
अमेरिका का यह नया कदम साफ संकेत देता है कि वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धा लगातार कठिन होती जा रही है. ऐसे में भारतीय झींगा उद्योग को गुणवत्ता और लागत दोनों मोर्चों पर अपनी रणनीति मजबूत करनी होगी, ताकि अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी जा सके.