भारत का झींगा निर्यात, जो कभी अरबों डॉलर का सुनहरा कारोबार माना जाता था, अब मुश्किल दौर से गुजर रहा है. अमेरिकी सरकार द्वारा आयात शुल्क को दोगुना कर देने के फैसले ने इस उद्योग की नींव हिला दी है. लाखों लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ा यह क्षेत्र अचानक प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पिछड़ने की कगार पर है, और निर्यातक सरकार से तुरंत मदद की मांग कर रहे हैं.
अमेरिका का दोगुना टैरिफ
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, अमेरिका ने भारतीय झींगा पर टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर सीधे 50 फीसदी कर दिया है. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले सप्ताह उठाया गया.
भारत ने 2024 में अमेरिका को लगभग 2.8 अरब डॉलर का झींगा निर्यात किया था, जबकि इस साल अब तक 500 मिलियन डॉलर का निर्यात हो चुका है. लेकिन बढ़े हुए टैरिफ के बाद अमेरिकी बाजार में भारतीय झींगा महंगा हो जाएगा और खरीदार अन्य विकल्पों की ओर मुड़ सकते हैं.
सरकार से राहत पैकेज
निर्यातकों ने वाणिज्य और वित्त मंत्रालय से तुरंत मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि बिना आपातकालीन पैकेज के हजारों नौकरियां और अरबों डॉलर का कारोबार खतरे में पड़ सकता है.
प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) में 30 फीसदी तक की वृद्धि
- आसान शर्तों वाले कर्ज और उस पर ब्याज सबवेंशन
- पैकिंग से पहले और बाद के कामों के लिए 240 दिन की मोहलत
इन देशों को मिलेगा फायदा
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि यह टैरिफ बढ़ोतरी भारत के लिए दोहरी मार साबित होगी. चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों पर अमेरिका केवल 20-30 फीसदी टैरिफ लगाता है. इससे उनकी कीमतें प्रतिस्पर्धी रहेंगी और वे अमेरिकी बाजार में भारतीय हिस्सेदारी पर कब्जा कर सकते हैं. एक और मुश्किल यह है कि भारतीय निर्यातक पहले से तय अनुबंधों को अचानक किसी अन्य देश में नहीं भेज सकते, वरना 40 फीसदी तक का जुर्माना भरना पड़ेगा.
नए बाजारों की तलाश, लेकिन राह लंबी
भारत अब नए निर्यात बाजारों की तलाश में है. पांच नए देशों के साथ बातचीत जारी है, लेकिन यह प्रक्रिया लंबी है. उदाहरण के तौर पर, ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है, मगर इसके लागू होने में अभी समय लगेगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो भारत का झींगा उद्योग अपनी वैश्विक पकड़ खो सकता है और इससे जुड़े लाखों परिवारों की आजीविका पर खतरा मंडराएगा.