Farming Tips: रबी सीजन में मटर की खेती किसानों के लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया मानी जाती है. हरी, मीठी और दानों से भरी मटर बाजार में अच्छी कीमत दिलाती है. लेकिन इस साल कई किसानों की शिकायत है कि मटर की फलियों में दाने पूरे नहीं बन रहे हैं. कहीं फलियां खाली रह जा रही हैं तो कहीं दाने छोटे और फीके स्वाद वाले निकल रहे हैं. इसका सीधा असर उत्पादन और बाजार भाव दोनों पर पड़ रहा है.
मौसम और पोषण की गड़बड़ी से बिगड़ रहा संतुलन
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मटर की फलियों में दाने न भरने की सबसे बड़ी वजह पौधों को सही समय पर पूरा पोषण न मिलना है. इस बार कई क्षेत्रों में तापमान में उतार-चढ़ाव और सुबह-शाम की ठंड ने भी पौधों की बढ़वार को प्रभावित किया है. जब पौधा तनाव में होता है, तो वह फूल और फलियों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाता, जिससे दाने कमजोर रह जाते हैं.
खाद का असंतुलित इस्तेमाल बन रहा समस्या की जड़
अक्सर देखा गया है कि किसान बुवाई के समय तो खाद डाल देते हैं, लेकिन बाद के चरणों में पोषण पर ध्यान नहीं देते. कई किसान पहली तुड़ाई के बाद यह मान लेते हैं कि अब खाद की जरूरत नहीं है, जबकि यही समय होता है जब दाने भरने की प्रक्रिया तेज होती है. नाइट्रोजन ज्यादा और फास्फोरस-पोटाश की कमी से भी फलियों का विकास अधूरा रह जाता है.
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से घटती मिठास
मटर की मिठास और दानों की गुणवत्ता सीधे सूक्ष्म पोषक तत्वों पर निर्भर करती है. सल्फर, जिंक, बोरान और मोलिब्डेनम जैसे तत्व अगर मिट्टी में कम हों, तो दाने सही तरीके से विकसित नहीं होते. ऐसे में मटर देखने में ठीक लगती है, लेकिन स्वाद में कड़वाहट या फीकेपन की शिकायत आती है, जिससे बाजार में कीमत घट जाती है.
सिंचाई की गलती भी बढ़ा रही नुकसान
कई बार या तो जरूरत से ज्यादा पानी दे दिया जाता है या लंबे समय तक खेत सूखा छोड़ दिया जाता है. दोनों ही स्थितियां मटर के लिए नुकसानदेह हैं. फूल आने और दाने भरने के समय हल्की लेकिन नियमित सिंचाई जरूरी होती है. पानी की कमी से दाने सिकुड़ जाते हैं, जबकि ज्यादा पानी से जड़ें कमजोर हो जाती हैं.
सही समय पर छिड़काव से सुधर सकती है फसल
कृषि जानकार बताते हैं कि फलियां बनते समय और दाने भरते समय पोषक तत्वों का छिड़काव बहुत फायदेमंद होता है. इससे पौधे को तुरंत पोषण मिलता है और फलियों में दाने अच्छी तरह भरते हैं. जिन खेतों में पहले धान या गन्ने की खेती हुई हो, वहां यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है, इसलिए वहां अतिरिक्त सावधानी जरूरी है.
किसान क्या करें ताकि नुकसान से बचा जा सके
अगर किसान समय पर संतुलित खाद, सूक्ष्म पोषक तत्वों का सही उपयोग और सिंचाई का ध्यान रखें, तो मटर की फलियों में दाने पूरी तरह भर सकते हैं. इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि मिठास और गुणवत्ता भी बेहतर होगी. अच्छी गुणवत्ता वाली मटर बाजार में बेहतर दाम दिलाती है और किसान की मेहनत सफल होती है.
समझदारी से खेती ही है समाधान
मटर की खेती में छोटी-छोटी लापरवाहियां बड़ा नुकसान कर सकती हैं. लेकिन अगर किसान फसल के हर चरण पर सही देखभाल करें, तो यह फसल कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है. समय पर पोषण, सही सिंचाई और मौसम के अनुसार खेती ही मटर की बेहतर पैदावार की कुंजी है.