लाखों की कमाई करवाएगी मटर की ये किस्म, हर फली में निकलेंगे 7–8 दाने

एम–7 मटर की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण इसका कम अवधि में तैयार हो जाना है. यह किस्म लगभग 55 से 65 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, जो किसानों को जल्दी आय दिलाने में मदद करती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 26 Nov, 2025 | 03:44 PM

अगर इस रबी सीजन में आप कोई ऐसी फसल लेना चाहते हैं जो जल्दी तैयार हो, ज्यादा दाने दे और बाजार में ऊंचे दाम दिलाए, तो मटर की एक खास किस्म आपके लिए वरदान साबित हो सकती है. किसानों के बीच इसकी चर्चा इसलिए बढ़ गई है क्योंकि यह किस्म कम मेहनत में भी शानदार उत्पादन देती है और सही दाम मिलने पर किसान आसानी से लाखों की कमाई कर सकते हैं. ठंडी ऋतु की उपजाऊ फसल मटर में यह किस्म किसानों की नई पसंद बन रही है.

क्यों खास है यह किस्म?

मटर की यह उन्नत किस्म अपनी उच्च गुणवत्ता और अधिक दानों वाली फलियों के कारण बाजार में बहुत पसंद की जाती है. फलियां मोटी, चमकदार और वजनदार आती हैं, जिनमें 7–8 दाने आसानी से निकल जाते हैं. यही वजह है कि मंडियों में इसके दाम सामान्य किस्मों से अधिक मिलते हैं.

किसानों के लिए बड़ी राहत यह है कि यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति सहनशील है, यानी बीमारी का खतरा कम और फसल सुरक्षित. खेत में ज्यादा दिन भी नहीं लगते यानी जल्दी पकने वाली इस किस्म से किसान सीजन में दो बार तक भी तुड़ाई कर सकते हैं. इस नई उन्नत किस्म का नाम है-एम–7 मटर (M–7 Pea Variety).

कम समय में तैयार होने वाली हाई–उपज किस्म

एम–7 मटर की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण इसका कम अवधि में तैयार हो जाना है. यह किस्म लगभग 55 से 65 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, जो किसानों को जल्दी आय दिलाने में मदद करती है.

इसके लिए नवंबर का महीना बुवाई का सबसे उपयुक्त समय माना गया है. मिट्टी की बात करें तो दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती सबसे अच्छा परिणाम देती है.

बुवाई के लिए आसान सुझाव

बीज दर: प्रति हेक्टेयर 60–80 किग्रा

कतार से कतार दूरी: 30 सेमी

पौधे से पौधे की दूरी: 10 सेमी

बीज की गहराई: 4–5 सेमी

खाद और पोषण: गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग

बुवाई से पहले बीज उपचार अवश्य करें ताकि फसल शुरुआत से ही मजबूत और रोग–रहित रहे.

एक हेक्टेयर से 80–90 क्विंटल तक हरी फलियां

एम–7 किस्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी असाधारण उपज क्षमता है. एक हेक्टेयर में किसान लगभग 80–90 क्विंटल तक हरी फलियों का उत्पादन ले सकते हैं. बाजार में अच्छी मांग होने के कारण यह उपज किसानों को सीजन में ही लाखों की कमाई करा सकती है.

यह किस्म गर्मी और बारिश की स्थिति को भी सामान्य किस्मों से बेहतर सहन कर लेती है. इसके दाने मीठे, मुलायम और स्वादिष्ट होते हैं यानी सीधे रसोई और बाजार दोनों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.

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