आम फसल को बर्बाद कर देता है पाउडरी मिल्ड्यू रोग, बागों को ऐसे बचाएं

आम की पाउडरी बीमारी एक प्रकार की फफूंद है जो आम के फूलों, पत्तियों और फलों पर हमला करती है और उत्पादन को 80 से 100 प्रतिशत तक घटा सकती है.

नोएडा | Updated On: 23 May, 2025 | 03:59 PM

भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा आम उगाने वाला देश है, लेकिन इसके बावजूद हमारे यहां आम की पैदावार उसकी क्षमता से कम रहती है. इसकी एक बड़ी वजह आम के बागानों में लगने वाले बीमारियां हैं, जो तुड़ाई से पहले और बाद में फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. आम की फसल के लिए बेहद खतरनाक होती है पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी. इसे सफेद धूल के नाम से भी जानते हैं. इस बीमारी का असर आम के फूलों, पत्तियों और फलों पर होता है. इसकी वजह से उत्पादन 80 फीसदी तक घटने का खतरा रहता है.

कैसे फैलती है ये बीमारी

पाउडरी मिल्ड्यू एक प्रकार का फफूंद रोग है जो हवा के जरिए फैलता है. सबसे पहले ये नए पत्तों पर असर दिखाता है. पत्तियों पर स्लेटी रंग के धब्बे बनते हैं जो बाद में जामुनी रंग के हो जाते हैं. इस रोग की वजह से आम की पत्तियां सिकुड़ने और मुड़ने लगती हैं. पहाड़ी इलाकों में तो पत्तियों पर सफेद चूरन जैसा पाउडर भी नजर आता है.

फल बनने में होती है देरी

यह बीमारी सबसे ज्यादा नुकसान आम के बौरों यानी फूलों पर करता है. फूलों पर सफेद चूर्ण जैसा पदार्थ दिखता है, जिससे फल बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है और फूल झड़ने लगते हैं. इससे बाग में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है. अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो पूरी फसल को खराब कर सकता है. अक्सर देखा गया है कि यह बीमारी 10 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर और ज्यादा नमी तेजी से बढ़ता है. मार्च के तीसरे या चौथे सप्ताह में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है.

इन उपायों से बचाएं अपनी बाग को

पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी से आम के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है. इससे बचने के लिए आम के बाग का नियमित निरीक्षण करें. अगर शुरुआत में ही कोई लक्षण दिखें तो समय रहते नियंत्रण किया जा सकता है. बीमार पत्तियों और बौर को नष्ट कर हटा दें, ताकि बीमारी का फैलाव कम हो. इसके साथ ही एनपीके खाद का संतुलित उपयोग करें, जिससे पेड़ मजबूत होते हैं और संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल भी बीमारी को कम करने में मदद करता है.

Published: 23 May, 2025 | 03:59 PM