महाराष्ट्र में प्याज की बंपर फसल और अचानक सप्लाई में बढ़ोतरी होने से कीमतों पर असर पड़ा है. इसके चलते होलसेल रेट और रिटेल प्राइस दोनों तेजी से गिर गए हैं. ऐसे में जहां उपभोक्ताओं को राहत मिली है, वहीं किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं. किसानों का कहना है कि कीमत गिरने से लागत निकालना मुश्किल हो गया है. कई किसानों ने घाटे की बात भी कही. लेकिन अभी भी किसानों को उम्मीद है कि मॉनसून के आगमन के बाद कीमतों में कुछे तेजी आ सकती है.
प्याज की कीमतों में गिरावट की अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, जो नवी मुंबई के वाशी कृषि उपज मंडी समिति में फरवरी महीने के दौरान प्याज को जो थोक रेट 35 से 40 रुपये प्रति किलो थे, जो अब मई में गिरकर 7 से 17 रुपये प्रति किलो हो गया. खास बात यह है कि रिटेल बाजारों में भी यही ट्रेंड दिख रहा है. प्याज की कीमतें 45 रुपये से घटकर 25 से 30 रुपये प्रति किलो पर आ गई हैं. कुछ इलाकों में तो लोग सिर्फ 7 रुपये प्रति किलो में प्याज खरीद रहे हैं. हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि कुछ छोटे दुकानदार अब भी ज्यादा दाम वसूल रहे हैं, क्योंकि आम लोगों को असली कीमत की जानकारी नहीं है.
प्याज सप्लाई में बहुत तेजी से उछाल
रिटेल व्यापारियों के मुताबिक प्याज के दाम और भी गिर सकते हैं. क्योंकि मंडियो में प्याज की लगातार सप्लाई हो रही है, लेकिन मांग उतनी नहीं बढ़ रही. इस संकट की शुरुआत पिछले साल के अच्छे दामों से हुई. वाशी एपीएमसी के एक थोक व्यापारी ने कहा कि 2024 में किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिले थे, इसलिए इस बार उन्होंने ज्यादा मात्रा में खेती की. लेकिन अब उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है. पहले रोजाना 90 से 100 ट्रक प्याज आते थे, अब 170 से ज्यादा ट्रक पहुंच रहे हैं.
बेमौसम बारिश से स्थिति और खराब
हालांकि, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में बेमौसम बारिश ने स्थिति और खराब कर दी. इससे किसानों के गोदाम में रखा प्याज खराब हो गया और उन्हें मजबूरी में पूरा स्टॉक एक साथ बाजार में बेचना पड़ा. ज्यादातर प्याज की आवक नासिक, अहमदनगर, संगमनेर और पुणे से हो रही है. सरकार ने बाजार को संभालने के लिए अप्रैल में प्याज पर लगी 20 फीसदी निर्यात शुल्क हटा दी, लेकिन किसानों का मानना है कि यह फैसला बहुत देर से लिया गया. बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के कारण किसानों को डर है कि यह गिरावट प्याज उगाने वाले इलाकों में लंबे समय का संकट ला सकती है.