Pea Variety Kashi Shakti: किसानों की पहली पसंद है मटर की ये किस्म, समय से पहले होती है तैयार

किसान मटर की अगेती किस्म काशी शक्ति (Pea Kashi Shakti) की खेती कर सकते हैं. ये किस्म मुख्य रूप से झारखंड, बिहार और पंजाब के किसानों के लिए बेस्ट है. समय से पहले तैयार होने के कारण इसकी उपज से किसानों को बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 24 Oct, 2025 | 10:11 PM

Pea Farming: मटर की मांग सर्दियों के मौसम में ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि इस मौसम में मटर की खपत ज्यादा होती है. यही कारण है कि किसान इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. ऐसे में जो किसान मटर की उपज के साथ बाजार में जल्दी पहुंचना चाहते हैं वो मटर की अगेती किस्म काशी शक्ति (Pea Kashi Shakti) की खेती कर सकते हैं. ये किस्म मुख्य रूप से झारखंड, बिहार और पंजाब के किसानों के लिए बेस्ट है. समय से पहले तैयार होने के कारण इसकी उपज से किसानों को बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है. साथ ही रबी सीजन की अन्य फसलों के लिए खेत भी जल्दी खाली हो जाते हैं. इस लिहाज से ये किस्म किसानों को दोहरा फायदा पहुंचा सकती है.

काशी शक्ति की खासियत

मटर काशी शक्ति अगेती मटर की उन्नत किस्मों में से एक है. इस किस्म को झारखंड, पंजाब और बिहार के इलाकों के लिए विकसित किया गया है. अन्य किस्मों के मुकाबले अगेती मटर की ये किस्म तुड़ाई के लिए जल्दी ही तैयार हो जाती है. इसकी एक खासियत ये भी है कि इसकी फसल में बैक्टीरियल रोगों (Bacterial Infection) का खतरा कम होता है. वहीं, अगेती मटर की अन्य किस्मों के मुकाबले इसकी फलियां लंबी और बड़ी होती हैं और उनमें दानों की संख्या भी अच्छी होती है.

सही बीजों का चुनाव करें

अगेती मटर (Early Variety) की किस्म काशी शक्ति से अच्छी पैदावार लेने के लिए जरूरी है कि किसान इसके प्रमाणित और रोगमुक्त बीजों का चुनाव करें. किसानों को यही सलाह दी जाती है कि वे NSC, IIVR, स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र  या फिर कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे बीजों को ही खरीदें. इसके साथ ही बीज खरीदते समय किसान इस बात का ध्यान रखें कि, बीज के पैकेट पर उत्पादन तिथि, वैधता, किस्म का नाम, बैच नंबर आदि साफ तरह से लिखा हो. खेत की तैयारी करते समय मिट्टी में 10 से 12 टन गोबर की खाद जरूर मिलाएं.

खेत की अच्छे से करें जुताई

काशी शक्ति अगेती मटर की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट मानी जाती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसके बीजों की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से 2 से 3 बाग गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार नष्ट हो सकें.  किसानों को ध्यान रखना होगा कि खेत को तैयार करने से पहले अच्छे से खेत की सफाई कर लें. जुताई के बाद पाटे या रोटावेटर (Rotavator) की मदद से खेत को समतल कर लें, ताकि जलभराव न हो. जलभराव होने की स्थिति में मटर के पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा पूरी तरह से नष्ट हो सकता है.

बीज बुवाई का तरीका

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों को ये सलाह दी जाती है कि बुवाई से पहले बीजों का उपचार (Seed Treatment) जरूर कर लें, ताकि अंकुरण दर में तेजी आ सके. काशी शक्ति मटर के बीजों की बुवाई (Seed Sowing) कतार में करनी चाहिए और कतार से कतार के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. वहीं कतारों में लगने वाले पौधों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बता दें कि बीजों को मिट्टी में 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए. बुवाई के बाद फसल को पहली सिंचाई दें. फसल को दूसरी सिंचाई फूल बनने के समय पर दें और तीसरी सिंचाई फली बनने के समय पर दें. मटर की फसल के लिए 2 से 3 सिंचाई पर्याप्त होती है.

कटाई का सही समय और पैदावार

अगेती मटर काशी शक्ति की फसल बुवाई के करीब 60 से 70 दिनों बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि जब फसल पूरी तरह भरी हुई हो, दाने कोमल, हरे और मीठे हों और फलियां दबाने पर थोड़ी मुलायम लगें तभी मटर की फलियों की तुड़ाई करें. बेहतर होगा कि हरी मटर की तुड़ाई हर 2 से 3 दिन में करें, ताकि सभी फलियां समय से मिलें और पौधों पर नई फलियां आती रहें.

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Published: 24 Oct, 2025 | 10:11 PM

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