अवैध सुपारी आयात पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ की जांच से घटी तस्करी

कस्टम विभाग और DRI की टीमों ने अब समुद्री बंदरगाहों, एयरपोर्ट और स्थलीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है. हर खेप की बारीकी से जांच की जा रही है. सरकार की यह कार्रवाई तुरंत प्रभाव दिखाने लगी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 10 Dec, 2025 | 10:30 AM

Business News: भारत में सुपारी किसानों को लंबे समय से विदेशी आयात की वजह से नुकसान झेलना पड़ रहा था. सस्ती सुपारी विदेशों से आती और घरेलू बाजार में कीमतें गिरा देती. इस चुनौती को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब आयात नियमों को और कड़ा कर दिया है. ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ की सख्त जांच ने अवैध आयात पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

रूल्स ऑफ ओरिजिन’ क्या है और क्यों जरूरी?

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ का मतलब है किसी भी माल का वास्तविक मूल देश जानना. यह नियम सुनिश्चित करता है कि कोई देश व्यापार समझौते का गलत फायदा उठाकर तीसरे देश का उत्पाद Duty-Free Tariff Preference (DFTP) के तहत भारत में न भेजे.

हाल के वर्षों में कुछ देशों द्वारा इस नियम का दुरुपयोग किया जा रहा था. जहां सुपारी की खेती नहीं होती, वहां से भी DFTP वाले देशों के नाम पर भारत में सस्ती सुपारी भेजी जा रही थी. इससे भारतीय किसानों के हित प्रभावित हो रहे थे.

केंद्र सरकार की सख्ती के बाद क्या बदला?

कस्टम विभाग और DRI की टीमों ने अब समुद्री बंदरगाहों, एयरपोर्ट और स्थलीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है. हर खेप की बारीकी से जांच की जा रही है. सरकार की यह कार्रवाई तुरंत प्रभाव दिखाने लगी है.

LDEC देशों जैसे बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार से आने वाला सुपारी आयात दो साल में काफी कम हो गया है. 2022-23 में जहां 32,238 टन सुपारी आयात होती थी, वहीं 2024-25 में यह घटकर 21,160 टन रह गया. आयात में यह कमी सीधे-सीधे दिखाती है कि अवैध मार्गों पर रोक लगी है और बाजार में सस्ती विदेशी सुपारी का दबाव कम हुआ है.

न्यूनतम आयात मूल्य ने भी किया बड़ा असर

सरकार ने फरवरी 2023 में सुपारी का न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) बढ़ाकर 251 से 351 रुपये प्रति किलो कर दिया. इससे विदेश से आने वाली सस्ती सुपारी महंगी हो गई और अवैध आयात स्वतः ही कम हो गया.

रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत में सुपारी का औसत मूल्य 40,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर रहा है. यह संकेत है कि किसानों की आय पर नकारात्मक दबाव नहीं पड़ा और बाजार अपेक्षाकृत स्थिर रहा.

किसानों के हित सुरक्षित रखने की कोशिश

सरकार का कहना है कि उठाए गए सभी कदम किसानों के हित में हैं. खराब गुणवत्ता वाली सुपारी घरेलू बाजार में न आए, यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है.

यदि विदेशों से सस्ती या घटिया सुपारी आती, तो भारतीय किसानों को कम दाम पर अपना माल बेचना पड़ता. अब ऐसा नहीं हो रहा, और किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिल रहा है.

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