Garlic Farming: बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में लहसुन की बुवाई तेजी से हो रही है. लेकिन कई ऐसे किसान हैं, जो लहसुन बुवाई करने के लिए खेत ही तैयार कर रहे हैं. ऐसे में इन किसानों को मालूम होना चाहिए कि उनके पास लहसुन बुवाई के लिए केवल 12 दिन ही बचे हैं. क्योंकि लहसुन बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना सबसे आदर्श माना गया है. इस दौरान तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में वुवाई करने पर लहसुन के बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और यह समय कंद बनने के लिए आदर्श होता है.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, लहसुन की खेती के लिए दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी गई है. साथ ही मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. ऐसे यह फसल बुवाई करने के करीब 140 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है. एक एकड़ से 35 से 50 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. जबकि अच्छी देखभाल करने पर 60 क्विंटल से भी अधिक उपज मिल सकती है. ऐसे लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर होता है और हर घर में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यानी किसान अगर इसकी खेती करते हैं, तो बंपर कमाई होगी.
लहसुन की खेती में कितनी आती है लागत
विशेषज्ञों के अनुसार, एक एकड़ में लहसुन की खेती करने पर कुल लागत लगभग 17 से 25 हजार रुपये आती है. लेकिन बाजार भाव 40 से 80 रुपये प्रति किलो होने पर किसान 1.5 से 3.5 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं. सही किस्म, संतुलित पोषण और समय पर सिंचाई- निराई से यह फसल काफी लाभदायक साबित होती है. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि किसान नवंबर में लहसुन की बुवाई कर सकते हैं. वे सलाह देते हैं कि खेत को अच्छी तरह तैयार करें. ऐसी मिट्टी चुनें जिसमें जल निकासी बढ़िया हो और हमेशा उन्नत किस्म का चुनाव करें. खेत तैयार करने के बाद संतुलित मात्रा में उर्वरक डालें और कंद को बड़ा करने के लिए अतिरिक्त पोषण भी दें. इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बेहतर मिलते हैं.
इस अनुपात में डालें खाद
वहीं, अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है कि फसल को सही मात्रा में पोषण मिले. खेत की अंतिम जुताई के समय 50 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें. इसके साथ रासायनिक उर्वरक में 100 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस, 50 किलो सल्फर और 50 किलो पोटाश का इस्तेमाल करें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा (50 किलो) बुवाई के समय मिट्टी में मिलाएं और बची हुई आधी मात्रा तब दें जब फसल 40- 45 दिन की हो जाए. अगर आप चाहते हैं कि लहसुन के कंद बड़े और अच्छे बनें, तो बेसल डोज में बोरॉन जरूर मिलाएं. किसान प्रति हेक्टेयर 10 किलो बोरॉन खेत की अंतिम जुताई के दौरान डाल सकते हैं. इसके बाद ही लहसुन की बुवाई करें. इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बेहतर मिलते हैं.