मिट्टी में फॉस्फोरस बढ़ाने का आसान देशी तरीका, किसान ऐसे बनाएं बेहतरीन जैविक खाद

फॉस्फो-कम्पोस्ट को बुवाई से पहले खेत में हल्के जुताई के साथ मिला दें. इसे पौधों के आसपास भी डाला जा सकता है, जहां से यह धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ता है. फसल चाहे गेहूं हो, सरसों, सब्जियां या फल, हर प्रकार की खेती में यह उपयोगी साबित होता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Nov, 2025 | 11:05 AM

Organic fertilizer: किसान अक्सर मिट्टी में फास्फोरस की कमी से परेशान रहते हैं. फास्फोरस पौधों की जड़ों, फूलों और दानों के विकास के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है. जब मिट्टी में इसकी कमी हो जाती है, तो फसलें कमजोर पड़ने लगती हैं, पैदावार घट जाती है और उत्पादन पर सीधा असर दिखता है. ऐसे में फॉस्फो-कम्पोस्ट एक बेहतरीन विकल्प बनकर सामने आता है. यह एक ऐसा जैविक उर्वरक है, जिसे किसान अपने घर या खेत में आसानी से तैयार कर सकते हैं और मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकते हैं.

फॉस्फो-कम्पोस्ट क्या होता है?

फॉस्फो-कम्पोस्ट एक ऑर्गेनिक खाद है जिसमें प्राकृतिक कार्बनिक पदार्थों के साथ फॉस्फेट खनिज मिलाए जाते हैं. इसमें मौजूद ‘रॉक फॉस्फेट’ या ‘ध्वस्त फॉस्फेट’ पौधों को धीरे-धीरे फास्फोरस उपलब्ध कराता है. इसकी खासियत यह है कि यह मिट्टी पर लंबे समय तक असर करता है और पौधों को स्थायी पोषण देता है. यह पूरी तरह जैविक है, इसलिए पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है.

फॉस्फो-कम्पोस्ट के लिए जरूरी सामग्री

फॉस्फो-कम्पोस्ट बनाने के लिए किसी खास मशीन या खर्च की जरूरत नहीं होती. खेत या घर में उपलब्ध सामग्री से इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है.

कार्बनिक पदार्थ जैसे गोबर की खाद, सूखी घास, पत्ते, लकड़ी की छाल, फसल अवशेषयह मूल सामग्री होती है जो सड़कर कम्पोस्ट बनती है.

  • फॉस्फेट खनिज यानी रॉक फॉस्फेट यही फास्फोरस का स्रोत है.
  • पर्याप्त पानी ताकि कम्पोस्ट में नमी बनी रहे.
  • नीम खली जैसी सामग्री यदि उपलब्ध हो, तो यह कम्पोस्ट को और पौष्टिक बनाती है.

फॉस्फो-कम्पोस्ट कैसे तैयार करें?

सबसे पहले कार्बनिक पदार्थों को छोटे टुकड़ों में काटकर एक स्थान पर इकट्ठा करें. इसके बाद रॉक फॉस्फेट को मापकर इन सामग्री में अच्छे से मिला दें. मिश्रण जितना बढ़िया होगा, कम्पोस्ट उतना बेहतरीन तैयार होगा.

अब इसे छांव वाले और हवादार स्थान पर ढेर के रूप में रखें. हर 7–10 दिन में इस ढेर को उलट-पलट करते रहें ताकि सभी हिस्से बराबर सड़ सकें. इसमें नमी बनाए रखना जरूरी है, लेकिन पानी भरना नहीं चाहिए.

लगभग 3–4 महीनों में यह पूरी तरह काला, भुरभुरा और मिट्टी जैसी खुशबू वाला कम्पोस्ट बन जाता है, तब यह फसल में उपयोग के लिए तैयार माना जाता है.

फॉस्फो-कम्पोस्ट के प्रमुख फायदे

  • फॉस्फो-कम्पोस्ट पौधों को फास्फोरस की निरंतर आपूर्ति करता है, जिससे जड़ें मजबूत बनती हैं और पौधे तेजी से विकसित होते हैं.
  • यह मिट्टी की संरचना सुधारता है और सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाकर मिट्टी को जीवंत करता है.
  • रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है, जिससे लागत घटती है और मिट्टी लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहती है.
  • इसमें मौजूद कुछ प्राकृतिक तत्व कीट-प्रतिरोध भी बढ़ाते हैं, जिससे फसल स्वस्थ रहती है.
  • सबसे खास बात यह जैविक खेती के लिए बिल्कुल उपयुक्त है.

कम्पोस्ट का उपयोग कैसे करें?

फॉस्फो-कम्पोस्ट को बुवाई से पहले खेत में हल्के जुताई के साथ मिला दें. इसे पौधों के आसपास भी डाला जा सकता है, जहां से यह धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ता है. फसल चाहे गेहूं हो, सरसों, सब्जियां या फलहर प्रकार की खेती में यह उपयोगी साबित होता है.

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