Diwali 2025: हिमाचल का वो गांव जहां सैंकड़ों साल से नहीं मनाई गई दिवाली, त्योहार को शाप मानते हैं यहां के लोग

हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा गांव जहां दिवाली मनाने से डरते हैं लोग. सैंकड़ों सालों से इस गांव में दिवाली के त्योहार को शापित माना जाता है और यहां के लोग आज भी इस परंपरा को सैंकड़ों सालों से मानते आ रहे हैं. आइए जानते हैं कि कौन सा है ये गांव और क्या है दिवाली न मनाने के पीछे का कारण

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 19 Oct, 2025 | 05:24 PM

Himachal Pradesh News: भारत में लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली के त्योहार की तैयारियों में लगे हुए हैं. पांच दिन के इस महपर्व पर चारों और दीयों से जगमगाती हुई रोशनी देखने को मिलती है. लोग मां लक्ष्मी से अपने घर की सुख-समृद्धि, शांति और धन-वैभव की कामना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ही हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा गांव हैं जहां के लोग दिवाली के त्योहार को शापित मानते हैं और ऐसा आज से नहीं बल्कि सैंकड़ों सालों से होता आ रहा है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि इस गांव में जो भी व्यक्ति दिवाली मनाने की कोशिश करता है तो गांव में अकाल मृत्यु का तांडव होने लगता है.

गांव में होती है सती की पूजा

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले का सम्मू गांव सैंकड़ों साल से शापित है. जिस समय पूरे देश में दिवाली की रोशनी की धूम रहती है उस ससय इस गांव में सन्नाटा पसरा रहता है. दरअसल, स्थानीय मान्यता के अनुसार, पहले विश्व युद्ध के दौरानन दिवाली के ही दिन गांव की एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी. स्थानीय लोग बताते हैं कि महिला अपने मायके जा रही थी, लेकिन उसे खबर मिली कि उसका पति की सेना में ड्यूटी के दौरान मौच हो गई है. पति की मृत्यु की खबर सुनने के बाद महिला ने गहरे सदमें मे आकर सती होकर अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन सती होने से पहले उसने पूरे गांव को ये श्राप दिया कि यहां कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाएगा. बस तभी से गांव को शापित माना जाता है और यहां के लोग दिवाली नहीं मनाते. दिवाली वाले दिन इस गांव में सती की पूजा की जाती है.

त्योहार पर अकाल मृत्यु का डर

समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार, सम्मू गांव में ही रहने वाले 75 साल के रघुवीर सिंह रंगड़ा ने बताया कि जब भी कोई परिवार गांव नें दिवाली मनाने की कोशिश करता है तो गांव में किसी न किसी की मृत्यु या फिर कोई आपदा जरूर आती है. यही कारण है कि गांव के लोग दिवाली मनाने से बचते हैं. उन्होंने बताया कि समय बीतता गया और सौ साल से ज्यादा हो गया लेकिन गांव में ये परंपरा नहीं बदली.

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रघुवीर सिंह रंगड़ा, स्थानीय निवासी (Photo Credit- Prasar Bharti)

श्राप से नहीं मिली मुक्ति

सम्मू गांव में ही भोरंज पंचायत प्रधान पूजा देवी ने भी बताया कि आज तक गांव में कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. गांव के लोग दिवाली पर दीये तो जलाते हैं लेकिन पटाखें नहीं जलाते हैं. लगो बताते हैं कि, पटाखे जलाने की कोशिश करने पर किसी न किसी घर में आग जरूर लग जाती है. पूजा देवी ने आगे बताया कि ऐसा माना जाता है कि ये श्राप सती की घटनाओं से जुड़ा है और अभी तक गांव इससे मुक्ति नहीं पा सका है.

Diwali 2025

पूजा देवी ग्राम पंचायत, प्रधान (Photo Credit- Prasar Bharti)

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Published: 19 Oct, 2025 | 05:19 PM

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