Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को कहा कि किसानों को अब तक खरीदे गए अनाज के लिए 7,472.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. अपने आवास पर आईएएस अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बाढ़ से भारी नुकसान के बावजूद पंजाब से राष्ट्रीय भंडार के लिए 175 लाख मीट्रिक टन धान की आपूर्ति की उम्मीद है. उन्होंने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए कि आने वाले दीपावली त्योहार के दौरान धान की खरीद बिना किसी परेशानी के सुचारू रूप से हो.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए 1,822 नियमित खरीद केंद्र अधिसूचित किए हैं, जिनका वितरण खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग ने किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शुक्रवार तक मंडियों में 38.65 लाख मीट्रिक टन धान पहुंच चुका है, जिनमें से 37.2 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के नियम के अनुसार खरीदी के 72 घंटे के अंदर धान उठाना जरूरी है और इस बार पूरे 100 फीसदी धान की समय पर उठान की गई है.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिया खास संदेश
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सरकार हर एक दाने की खरीद को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और खुद पूरे प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि खरीद प्रक्रिया तेज, सुचारू और प्रभावी होनी चाहिए, ताकि पंजाब के मेहनती किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदा जा सके.
पराली जलाने के बढ़े मामले
वहीं, सुबह खबर सामने आई थी कि पंजाब में जैसे-जैसे मौसम सूखा हो रहा है और धान की कटाई तेज हो रही है, खेतों में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. शनिवार को इस सीजन की अब तक की सबसे ज्यादा 33 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे कुल संख्या 241 हो गई है. पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (PRSC) के आंकड़ों के मुताबिक, 33 में से 23 मामले सिर्फ तरनतारन जिले में सामने आए, जिससे यह अब तक का सबसे अधिक प्रभावित जिला बन गया है. अमृतसर दूसरे नंबर पर है, जहां अब तक 80 घटनाएं हो चुकी हैं. जिलेवार आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा 9 मामले जींद में आए हैं. उसके बाद सिरसा और सोनीपत में 4-4, फरीदाबाद में 3, कैथल, पानीपत और यमुनानगर में 2-2 और कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, झज्जर और पलवल में 1-1 मामला सामने आया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, पिछले साल (2024) की धान सीजन में भी सक्रिय आग की घटनाओं (AFLs) में 39 फीसदी की कमी दर्ज हुई थी.