गेहूं और आटे का निर्यात फिलहाल नहीं, सरकार का प्राथमिकता घरेलू आपूर्ति- प्रहलाद जोशी

मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि गेहूं निर्यात पर निर्णय कई मंत्रालयों की सहमति से ही लिया जाएगा. अगले साल की फसल और उत्पादन स्तर को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा. उन्होंने जोर दिया कि देश की खाद्य सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 25 Sep, 2025 | 09:31 AM

Wheat Export: भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, इस समय अपने घरेलू स्टॉक और उत्पादन बढ़ाने पर पूरी तरह ध्यान दे रहा है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी ने साफ कहा है कि फिलहाल गेहूं और उससे बने उत्पाद जैसे आटा, मैदा और सूजी का निर्यात शुरू करने का कोई प्लान नहीं है. उन्होंने बताया कि नई फसल के आने के बाद यानी अप्रैल 2026 के बाद इस पर विचार किया जाएगा.

उद्योग की मांग और सुझाव

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक बैठक में उद्योग जगत ने सरकार से अनुरोध किया कि अतिरिक्त गेहूं स्टॉक का उपयोग करके धीरे-धीरे गेहूं उत्पादों का निर्यात शुरू किया जाए. उद्योग ने सुझाव दिया कि शुरू में कम से कम 10 लाख टन उत्पादों का निर्यात किया जाए. इससे भारत की वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे.

फेडरेशन के अध्यक्ष नवनीत चितलंगिया ने बताया कि भारत का गेहूं विदेशी बाजार में 80-90 डॉलर प्रति टन सस्ता है, लेकिन इसे खासकर भारतीय समुदाय के लिए निर्यात किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में कई मिलें सिर्फ भारतीय समुदाय के लिए आटा तैयार कर रही हैं, क्योंकि 2022 में भारत ने गेहूं और गेहूं उत्पादों के निर्यात पर रोक लगा दी थी.

सरकार की प्रतिक्रिया

मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि गेहूं निर्यात पर निर्णय कई मंत्रालयों की सहमति से ही लिया जाएगा. अगले साल की फसल और उत्पादन स्तर को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा. उन्होंने जोर दिया कि देश की खाद्य सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है. फिलहाल, आटे का निर्यात शुरू करने का कोई निर्णय नहीं है.

भंडारण और बाजार स्थिरता

2022 में उत्पादन में गिरावट और महंगाई के कारण भारत ने गेहूं निर्यात पर रोक लगाई थी. लेकिन 2024-25 में रिकॉर्ड 117.51 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ, जिससे देश में पर्याप्त स्टॉक बन गया है. उद्योग ने सरकार से अनुरोध किया कि पर्याप्त भंडारण बनाए रखें, ताकि घरेलू कीमतें स्थिर रहें और जरूरत पड़ने पर बाजार में तुरंत हस्तक्षेप किया जा सके.

अन्य सुझाव और सुधार

फेडरेशन ने सरकार से कुछ अन्य सुझाव भी दिए हैं:

  • घरेलू पैकिंग वाले आटा, मैदा और सूजी पर GST घटाना.
  • मशीनरी और भंडारण साइलो पर GST को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करना.
  • पशुपालन में उपयोग होने वाले DDGS (ड्राइड डिस्टिलर्स ग्रेन्स विथ सॉल्यूबल्स) के असर का अध्ययन करना.
  • भविष्य में निर्यात और घरेलू आपूर्ति के लिए साफ नीतिगत दिशा-निर्देश देना.

किसानों और बाजार के लिए महत्व

भारत का गेहूं उद्योग किसानों और बाजार दोनों के लिए बेहद अहम है. उच्च उत्पादन और बेहतर स्टॉक के बावजूद सरकार की प्राथमिकता देश की खाद्य सुरक्षा बनाए रखना है. जबकि उद्योग निर्यात की मांग कर रहा है, घरेलू बाजार और कीमतों की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए फिलहाल सिर्फ घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता दी जा रही है.

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Published: 25 Sep, 2025 | 09:27 AM

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