Haryana News: हरियाणा में इस खरीफ सीजन पराली जलाने की घटनाओं में 95 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है. 17 अक्टूबर तक सिर्फ 30 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी समय तक 601 घटनाएं दर्ज हुई थीं. हालांकि, 2023 में 546, 2022 में 330 और 2021 में 1,026 मामले सामने आए थे. ऐसे में यह गिरावट दिखाती है कि हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन की योजनाएं लगातार सफल हो रही हैं. ऐसे प्रदेश में आधे से ज्यादा धान की कटाई पूरी हो चुकी है और फिर भी पराली जलाने के मामले काफी कम हैं.
जिलेवार आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा 9 मामले जींद में आए हैं. उसके बाद सिरसा और सोनीपत में 4-4, फरीदाबाद में 3, कैथल, पानीपत और यमुनानगर में 2-2 और कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, झज्जर और पलवल में 1-1 मामला सामने आया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, पिछले साल (2024) की धान सीजन में भी सक्रिय आग की घटनाओं (AFLs) में 39 फीसदी की कमी दर्ज हुई थी. अधिकारियों ने इस सफलता का श्रेय सख्त निगरानी, किसानों में बढ़ती जागरूकता और पर्यावरण अनुकूल तरीकों को अपनाने के लिए दी गई आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं को दिया है.
नोडल अधिकारी लगातार कर रहे हैं निगरानी
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए इन सिचू और एक्स सिचू फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने और प्रति एकड़ 1,200 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने जैसी योजनाएं अहम भूमिका निभा रही हैं. इससे पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी आई है. उन्होंने कहा कि गांव, उप-खंड और जिला स्तर पर बनी कमेटियां और नोडल अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं, ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके.
कर्नाल, जो राज्य के सबसे बड़े धान उत्पादक जिलों में से एक है, वहां एक भी पराली जलाने की घटना रिपोर्ट नहीं हुई है. हालांकि प्रशासन ने जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है अब तक 5 एफआईआर, रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री और 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
जागरूकता अभियान का दिख रहा असर
डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि FIR, जुर्माने और रिकॉर्ड में रेड एंट्री जैसे सख्त कदमों के साथ-साथ जागरूकता अभियान का अच्छा असर दिख रहा है. अब किसान पराली प्रबंधन को तेजी से अपना रहे हैं. डिप्टी कमिश्नर उत्तम सिंह ने उन किसानों की सराहना की जो फसल अवशेषों को उपयोगी उत्पादों में बदल रहे हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने नोडल अधिकारियों के नेतृत्व में निगरानी टीमें बनाई हैं. आने वाले 15 दिन बहुत अहम हैं, इसलिए सभी अधिकारियों को सतर्क रहना होगा. डीसी ने किसानों से अपील की कि वे पराली न जलाएं और उसकी खाद, मल्चिंग या ऊर्जा उत्पादन जैसे उपायों से ‘कचरे को संपत्ति’ में बदलें.