Punjab Stubble Burning: जहां एक ओर दिल्ली में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी और पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दिवाली के नजदीक आते ही किसानों द्वारा खेतों में बचे हुए पराली को जलाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है. इस मौसम में अब तक 165 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें अमृतसर जिले में सबसे ज्यादा 68 मामले सामने आए हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) ने इस पर सख्त निगरानी और कार्रवाई शुरू कर रखी है.
सख्त कार्रवाई: जुर्माने और एफआईआर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, PPCB ने इस सीजन में अब तक 75 मामलों में कुल 3.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा 81 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. कुछ मामलों में किसानों के भूमि अभिलेखों में भी जुर्माना दर्ज किया गया है. कुल 50 मामलों में भूमि रिकॉर्ड में नोट किया गया कि किसान ने नियम का उल्लंघन किया है. बोर्ड ने लगातार चेतावनी दी है कि पराली जलाने वालों के खिलाफ कड़ा कार्रवाई जारी रहेगी.
हवा की गुणवत्ता पर प्रभाव
पराली जलाने के कारण पंजाब के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता प्रभावित हुई है. बुधवार को लुधियाना में AQI 114, पटियाला 112 और खन्ना 110 दर्ज किया गया. मंगलवार को भी जालंधर 113, खन्ना 108, पटियाला 107 और लुधियाना 104 के AQI रीडिंग के साथ तीन शहर यलो जोन में दर्ज हुए. विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से हवा में हानिकारक कण बढ़ते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं.
पिछले हफ्ते की स्थिति
पिछले हफ्ते भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हुई थीं. शनिवार को अकेले 14 नई घटनाएं दर्ज हुई थीं, जिससे राज्य में कुल मामले उस समय 116 हो गए थे. तारण टारण में 25, अमृतसर में 63 और पटियाला में 10 मामले दर्ज हुए थे. इन घटनाओं के दौरान 72 एफआईआर दर्ज की गई और जुर्माना 3.2 लाख रुपये लगाया गया.
सरकार और किसानों की भूमिका
सरकार ने किसानों को अल्टरनेटिव तरीके अपनाने की सलाह दी है, जैसे कि पराली को खेत में ही खाद के रूप में इस्तेमाल करना या मशीनों के जरिए कटाई के बाद बचे पराली को तुरंत हटाना. इसके अलावा कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम भी चलाए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यदि किसान नियमों का पालन करेंगे, तो न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि स्वास्थ्य और कृषि उत्पादकता में भी सुधार होगा.
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण और किसानों की सही मार्गदर्शन से हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने की कोशिशें जारी हैं. राज्य सरकार और PPCB की सख्त कार्रवाई इस दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.