पराली जलाने पर मौसम विज्ञान संस्थान की चौंकाने वाली रिपोर्ट, उत्तर प्रदेश के दो जिलों में बिगड़ी स्थिति

UP stubble burning Case : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि सितंबर-अक्टूबर के 25 दिनों के बीच यूपी में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जो इसी अवधि में पंजाब में दर्ज मामलों से ज्यादा हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Published: 12 Oct, 2025 | 12:22 PM

Uttar Pradesh News: अक्तूबर और त्योहारों की शुरूआत के साथ वायु प्रदूषण बढ़ने की रिपोर्ट सामने आने लगी हैं. प्रदूषण में बढ़ोत्तरी के लिए पराली जलाने के मामलों को बताया जा रहा है. इस बीच पराली जलाने को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा उत्तर प्रदेश से सामने आया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के अनुसार यूपी में पराली जलाने के मामलों ने पंजाब को भी पीछे (UP reports more stubble burning than Punjab) छोड़ दिया है. संस्थान ने 25 दिनों के मामलों की गणना करते हुए तुलनात्मक आंकडे़ जारी किए हैं.

उत्तर प्रदेश में पंजाब से अधिक पराली जलाई गई

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कहा गया है कि 15 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले मथुरा और अलीगढ़ में दर्ज किए गए. मथुरा में 25 और अलीगढ़ में 17 घटनाएं दर्ज की गईं. राज्य में कुल 121 मामले दर्ज किए गए, जो इसी अवधि में पंजाब के 102 मामलों से ज्यादा है.

मौसम विज्ञान संस्थान की चौंकाने वाली रिपोर्ट

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) पुणे की एक रिपोर्ट के अनुसार एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी की एक प्रमुख वजह पराली जलाना है, जिसने राजधानी क्षेत्र के प्रदूषण में 31 फीसदी का योगदान दिया. हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं का दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के प्रदूषण स्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए मथुरा और अलीगढ़ में स्थानीय प्रशासन ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं.

गौशालाओं और बायोगैस प्लांट में जाएगी पराली

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट सीपी सिंह ने कहा कि सभी खंड विकास अधिकारियों, कृषि अधिकारियों, ग्राम प्रधानों और सचिवों को अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार दौरे पर रहने और किसानों से सीधे जुड़ने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय प्रशासन किसानों को पराली न जलाने, बल्कि उसे बेचने के लिए प्रेरित कर रहा है ताकि उसे गौशालाओं और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) प्लांट में इस्तेमाल के लिए पहुंचाया जा सके.

जिला पंचायती राज अधिकारी को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि पराली गौशालाओं तक पहुंचाई जाए. उन्होंने अधिकारियों से सीबीजी उत्पादन के लिए पराली की बड़े पैमाने पर खरीद के लिए स्थानीय समितियों के साथ समन्वय करने को भी कहा है.

पराली जलाना बंद नहीं किया तो 30 हजार जुर्माना लगेगा

मथुरा प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हम किसानों को आगाह कर रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) दोनों ने पराली जलाना एक दंडनीय अपराध घोषित किया है. ऐसा करने वालों पर दो एकड़ से कम भूमि के लिए 5000 रुपये से लेकर पांच एकड़ से बड़े खेतों के लिए 30,000 रुपये तक का ‘पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति’ जुर्माना लगाया जा सकता है. बार-बार उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और कारावास हो सकता है.

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