मॉनसून में कुरमुला कीट का खतरा बढ़ा.. बर्बाद कर देता है 75 फीसदी फसल, जानें बचाव का तरीका

कुरमुला कीट से फसलों को बचाने के लिए खेतों में सूखे गोबर का छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखें ताजे या गिले गोबर का इस्तेमाल कभी ना करें. इन कीटों का शरीर बहुत ही कोमल होता है जिसके कारण ये ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाते हैं.

नोएडा | Published: 10 Aug, 2025 | 07:30 PM

बारिश के मौसम में फसलों पर कीटों का आक्रमण होना आम बात है. किसानों के लिए ऐसे में जरूरी है कि वे समय-समय पर फसल की साफ-सफाई और जरूरी देखभाल करते रहें. बारिश में लगने वाले कीटों में से एक प्रमुख कीट है जो कि फसल को 75 फीसदी तक नुकसान पहुंचा सकता है. इस कीट का नाम है कुरमुला कीट. कुरमुला भारत में एक मुख्य हानिकारक कीट के रूप में जाना जाता है. यह कीट देश के अलग-अलग राज्यों जैसे-हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा पाया जाता है. विशेष रूप से कुरमुला कीट बारिश के दिनों में फसल को नुकसान पहुंचाता है.

कुरमुला कीट के लक्षण

कुरमुला कीट जिसे जड़ भक्षक कीट भी कहा जाता है, मुख्य रूप से धान, गन्ना, मूंगफली, आलू, गेहूं और सब्जियों में पाया जाता है. इस कीट का सबसे बड़ी लक्षण हैं पौधों का अचानक से मुरझा जाना. इस कीट के आक्रमण पर बिना किसी ऊपर से दिखने वाले रोग के पौधा धीरे-धीरे मुरझाने लगता है. इस कीट की एक खास पहचान है कि दोपहर के समय पौधों पर लटकते हुए दिखाई देते हैं. कुरमुला कीट पौधों की जड़ों को खा जाता है जिसके कारण जड़ें कमजोर हो जाती हैं और हल्के से खिंचाव से भी पौधा जमीन से उखड़ जाता है. इसकी पहचान करने का एक तरीका ये भी कि किसान मिट्टी से पौधा निकालकर देखें, अगर जड़ें कटी-फटी या गायब होती हैं तो समझ लें कि पौधे पर कुरमुला कीट का प्रकोप है.

किसान इन तरीकों से करें बचाव

कुरमुला कीट से फसलों को बचाने के लिए खेतों में सूखे गोबर का छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखें ताजे या गिले गोबर का इस्तेमाल कभी ना करें. इन कीटों का शरीर बहुत ही कोमल होता है जिसके कारण ये ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाते हैं. ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेत की ग्रीषमकालीन जुताई जरूर करें. इससे ये कीट मिट्टी के ऊपर आ जाते हैं और सूरज की रोशनी में नष्ट हो जाते हैं. ये कीट फसलों पर रात के समय हमला करते हैं. ऐसे में उन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करें.

इन दवाओं का करें इस्तेमाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान घरेलू उपायों के इस्तेमाल के साथ-साथ कुरमुला कीट को नियंत्रित करने के लिए दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. कुरमुला कीट से बचाव के लिए किसान मेटाराइजियम एनीसोपली और ब्युवेरिया बेसियाना 1.0×104 प्रति ग्राम वाले फार्मूलेशन का 3.0 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से इस्तेमाल करें. इसके इस्तेमाल से कीटों की संख्या में काफी कमी आती है. सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलों में कीट से बचाव के लिए थायामेथोक्साम 25 डब्ल्यू एस नामक कीटनाशक का 1.2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए.

Published: 10 Aug, 2025 | 07:30 PM