थनैला से बर्बाद हो सकती है आपकी डेयरी, जानिए क्या है इसके बचाव का तरीका

थनैला एक संक्रामक रोग है जो गाय-भैंसों के थनों को प्रभावित करता है और दूध उत्पादन घटा देता है. समय पर पहचान, साफ-सफाई और सही इलाज से इससे पूरी तरह बचाव संभव है.

नोएडा | Updated On: 21 Jun, 2025 | 11:10 PM

थन में सूजन है, दूध में गड़बड़ी है और जानवर बार-बार बेचैन हो रहा है तो समझ लीजिए खतरे की घंटी बज चुकी है. ये कोई आम बात नहीं, थनैला हो सकता है. एक ऐसा रोग जो धीरे-धीरे दूध को सुखा देता है और थन को बेकार बना देता है. कई बार किसान इसे छोटी सी दिक्कत समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यही गलती बाद में भारी नुकसान देती है. इससे दूध कम, इलाज महंगा और जानवर तक बैठ जाता है. चलिए जानते हैं कि थनैला की पहचान कैसे करें, घर पर उसकी जांच कैसे की जा सकती है और बचाव के आसान, असरदार उपाय क्या हैं? ताकि आपकी मेहनत भी बचे और दूध का धंधा भी.

क्या है थनैला रोग?

थनैला रोग मादा पशुओं में होने वाला एक संक्रामण रोग है, जो मुख्य रूप से थनों को प्रभावित करता है. यह रोग खासकर शंकर नस्ल की अधिक दूध देने वाली पशुओं में तेजी से फैलता है. यह तभी फैलता है जब पशु गंदगी में रहते हैं, कीचड़ वाले बथान पर खड़े होते हैं या गंदे हाथों से दूध दुहा जाता है, तब ये बैक्टीरिया आसानी से थन में प्रवेश कर जाते हैं और थनैला रोग पैदा करते हैं.

कैसे पहचान करें?

इस बीमारी में थन सूजने लगता है, उसमें दर्द होता है और दूध का रंग, गंध या स्वाद बदलने लगता है. कई बार दूध में खून, मवाद या पानी जैसा तरल दिखने लगता है. अगर शुरू में इलाज नहीं किया गया तो थन पत्थर जैसा सख्त हो जाता है और पशु पूरी तरह दूध देना बंद कर देता है. इससे किसान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

थनैला रोग का मुख्य कारण

थनैला रोग कई कारणों से होता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया का संक्रमण है. इसके अलावा फंगस, यीस्ट, थन में चोट या घाव भी इस रोग की वजह बनते हैं. स्ट्रेप्टोकोकस, ई. कोली, माइकोप्लाज्मा जैसे बैक्टीरिया से यह बीमारी फैलती है. साथ ही, गंदा वातावरण, पशु की उम्र, नस्ल, दूध निकालने का तरीका, सफाई की कमी, मौसम में बदलाव और शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी इस रोग को बढ़ावा देते हैं

बचाव कैसे करें?

थनैला हो जाए तो सबसे पहले दूध पूरा निकाल दो. फिर डॉक्टर की बताई एंटीबायोटिक और सूजन कम करने वाली दवा दो. इसमें विटामिन भी काम आएंगे, लेकिन असली बात है साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें. वहीं इस रोग को दूर करने के लिए थन धोओ, दवा लगाओ, और बीमार जानवर को अलग रखो. ध्यान देने की बात यह है कि इसमें दूध बिल्कुल नहीं बेचना है. तभी ये जल्दी पकड़ में आयेगा

Published: 22 Jun, 2025 | 06:45 AM