बरसात का मौसम जहां खेतों और पेड़-पौधों के लिए फायदेमंद होता है, वहीं पशुपालकों के लिए यह सतर्कता का मौसम बन जाता है. इस समय भेड़ और बकरियों में बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है. अगर समय रहते जरूरी सावधानियां नहीं बरती गईं, तो पशु बीमार पड़ सकते हैं या जान भी जा सकती है, जिससे पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.
हरी घास ज्यादा खिलाने से बढ़ती हैं पेट की बीमारियां
बरसात के बाद रेगिस्तानी इलाकों में हरी, कच्ची घास उग आती है जो बकरियों और भेड़ों को काफी स्वादिष्ट लगती है. लेकिन इस घास में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे उनके पेट में दस्त और कीड़े हो सकते हैं.
- समाधान-
- 1. हरी घास की मात्रा कम करें
- 2. ज्यादा मात्रा में सूखा चारा खिलाएं
- 3. डीवर्मिंग दवाएं समय-समय पर दें, जिससे पेट के कीड़े खत्म हो जाएं
फड़किया और पीपीआर जैसी बीमारियों से बचाने के लिए लगवाएं टीके
बारिश के मौसम में पशुओं को फड़किया बीमारी हो सकती है, खासकर जब वे ज्यादा हरा चारा या मूंगफली के पौधे खा लेते हैं. इससे पेट फूलता है, चक्कर आते हैं और कभी-कभी पशु की जान भी जा सकती है.
- समाधान-
- 1. फड़किया बीमारी का टीका समय पर लगवाएं
- 2. पीपीआर टीका भी ज़रूरी है, जो 3 साल में एक बार लगता है
- 3. ये टीके सरकारी पशु चिकित्सालयों में मुफ्त उपलब्ध होते हैं
पैरों में सड़न की समस्या – पहचानें और करें घरेलू इलाज
बारिश में जमीन पर पानी जमा रहने और नमी के कारण पशुओं के पैरों (खुरों) में सड़न हो जाती है. इससे वे लंगड़ा कर चलने लगते हैं और चलने-फिरने में तकलीफ होती है.
- समाधान-
- 1. पशु बाड़े को हमेशा सूखा और साफ रखें
- 2. पैरों में चूने का स्प्रे करें
- 3. घाव को फैलने से रोकने के लिए लाल दवा (पोटाशियम परमैग्नेट) का प्रयोग करें
- 4. शेड्यूल बनाकर करें नियमित टीकाकरण और देखभाल