ला नीना की एंट्री पर एजेंसियों के अलग-अलग दावे, उत्तर भारत के इन राज्यों के लिए बढ़ने लगी परेशानी

La Nina Entry : अमेरिकी मौसम एजेंसी CPC ने कहा कि ला नीना की वजह से एशिया में भारी बारिश और अमेरिका में सूखा पड़ता है, जो अभी चल रहा है और यह उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों तक जारी रहेगा. वहीं, भारत के उत्तरी क्षेत्रों में ला नीना का असर शीतलहर भारी ठंड के रूप में देखा जाता है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 22 Nov, 2025 | 12:05 PM

Cold Wave Due to La Nina: देश के उत्तरी हिस्सों में तेजी से मौसम में बदलाव देखा जा रहा है, जिसे ला नीना के प्रभाव के चलते बताया गया है. अमेरिकी मौसम एजेंसी का कहना है कि ला नीना आ गया है, लेकिन IMD और दूसरी एजेंसियों की राय अलग है. ला नीना के असर से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान में तेज सर्दी देखने को मिलेगी. राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में शीतलहर का प्रकोप देखा जा रहा है.

एशिया और अमेरिका में ला नीना का असर

अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमो स्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) का हिस्सा क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने कहा है कि ला नीना आ गया है. हालांकि, इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) और दुनिया भर के दूसरे मौसम संगठनों की राय अलग है. CPC ने कहा कि ला नीना की वजह से एशिया में भारी बारिश और अमेरिका में सूखा पड़ता है, जो अभी चल रहा है और यह उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों तक जारी रहेगा.

अपने नए अपडेट में अमेरिकी मौसम एजेंसी सीपीसी इसने कहा कि ला नीना बना हुआ है, जिससे सेंट्रल और ईस्ट-सेंट्रल पैसिफिक में समुद्र की सतह का तापमान औसत से नीचे बना हुआ है. एटमोस्फेरिक गड़बड़ियां इस ठंडक को दिखाती हैं, जिसमें डेट लाइन के पास तेज पूर्वी हवाएं और कमजोर कन्वेक्शन है.

ऑस्ट्रेलियन एजेंसी ने कहा- ला नीना दिसंबर में आएगा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने कहा कि अभी इक्वेटोरियल पैसिफिक क्षेत्र में न्यूट्रल एल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ENSO) की स्थिति बनी हुई है. मानसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम (MMCFS) और दूसरे क्लाइमेट मॉडल फोरकास्ट बताते हैं कि इन महीनों में ला नीना की स्थिति बनने की संभावना बढ़ गई है.

इसमें कहा गया है अभी इंडियन ओशन के ऊपर नेगेटिव इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) की स्थिति देखी जा रही है. लेटेस्ट MMCFS फोरकास्ट, साथ ही दूसरे क्लाइमेट मॉडल फोरकास्ट बताते हैं कि पोस्ट-मॉनसून सीज़न में नेगेटिव IOD की स्थिति बनी रहने की संभावना है. ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ़ मेटियोरोलॉजी (BOM) और APEC क्लाइमेट सेंटर (APCC) ने भी कहा कि ला नीना शायद दिसंबर में आएगा और मार्च 2026 तक कुछ समय तक रह सकता है.

ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसी BOM ने अपने नए क्लाइमेट अपडेट में कहा कि नेगेटिव इंडियन ओशन डाइपोल जारी है. ENSO न्यूट्रल बना हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि ला नीना बन सकता है. APCC ने कहा कि ला नीना जल्द ही शुरू होगा.

मार्च में खत्म होगा ला नीना – सभी एजेंसियां

सभी एजेंसियां ​​इस बात पर एकमत हैं कि मौसम की यह घटना थोड़े समय के लिए होगी. यह मार्च 2026 में खत्म होगा. अमेरिकी मौसम एजेंसी CPC ने कहा कि ला नीना की स्थिति अगले साल की शुरुआत में कम होने लगेगी. एजेंसी ने कहा कि जनवरी और मार्च 2026 के बीच ENSO-न्यूट्रल की ओर बदलाव की सबसे ज्यादा संभावना है, जिसके लगभग 61 फीसदी चांस हैं.

ला नीना क्या है और भारत में कहां असर दिखेगा

ला नीना प्रशांत महासागर में होने वाली एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जिसमें समुद्र तल का तापमान काफी नीचे चला जाता है. इसके चलते उत्तर भारत में अधिक सर्दी पड़ने की संभावना हो जाती है. ला नीना के असर से भारत के पंजाब राज्य, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में तेज सर्दी देखने को मिल सकती है. वर्तमान में राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में शीतलहर का प्रकोप देखा जा रहा है.

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Published: 22 Nov, 2025 | 12:05 PM

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