नकली खाद-उत्पादों के जाल में किसान, चौपट हो रही खेती-किसानी

नकली खाद सप्लाई का यह खेल इतना बड़ा है कि खुद केंद्रीय कृषि मंत्री को बार-बार नया कानून लाने की बात कहनी पड़ रही है. उनका कहना है कि मौजूदा नियमों में कम सख्ती के चलते जालसाज बाज नहीं आ रहे हैं.

नोएडा | Updated On: 28 Jul, 2025 | 11:50 AM

खेती के लिए संकट का समय है, क्योंकि नकली खाद समेत अन्य कृषि उत्पादों की भरमार ने किसानों को अपने जाल में फंसा लिया है. उनके लिए यह तय करना मुश्किल काम हो गया है कि कौन सी खाद असली है और कौन नकली. खरीफ सीजन की शुरुआत से ही बाजार में नकली और घटिया खाद, बीज, कीटनाशक समेत अन्य उत्पाद खपाए जा रहे हैं. राजस्थान, हरियाणा उत्तर प्रदेश में कई जगह नकली खाद बीते 2 महीनों के दौरान पकड़ी जा चुकी है. नकली खाद सप्लाई का यह खेल इतना बड़ा है कि खुद केंद्रीय कृषि मंत्री को बार-बार नया कानून लाने की बात कहनी पड़ रही है. उनका कहना है कि मौजूदा नियमों में कम सख्ती के चलते जालसाज बाज नहीं आ रहे हैं. बीते दिन मध्य प्रदेश के रायसेन में उन्होंने नकली खाद और कृषि उत्पादों को लेकर फिर से नए कानून को बनाने की वकालत की है.

यूरिया, डीएपी समेत अन्य खाद की सालाना खपत कितनी है?

भारतीय उर्वरक संघ (FAI) के अनुसार 2023-24 के दौरान यूरिया की अखिल भारतीय अनुमानित खपत (डीबीटी बिक्री के आधार पर) 357.8 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 108. 1 लाख मीट्रिक टन, एमओपी 16.4 लाख मीट्रिक टन और एनपी/एनपीके जटिल उर्वरकों की खपत 110.7 लाख मीट्रिक टन है.
अब 2022-23 में खपत आंकड़ों से तुलना करने पर यूरिया की खपत 0.2 फीसदी बढ़ी है. डीएपी की खपत 3.8 फीसदी बढ़ी. जबकि, 0.8 एमओपी और एनपीके की खपत में 9.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

सरकारी आंकड़ों में खपत से ज्यादा रहा उर्वरकों का स्टॉक

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में देशभर में यूरिया की खपत 232.54 लाख मीट्रिक टन हुई थी. डीएपी की खपत 83.53 लाख मीट्रिक टन हुई थी. जबकि, एमओपी 11.23 लाख मीट्रिक टन और एनपीके 74.16 लाख टन की खपत दर्ज की गई. पूरे साल के दौरान कुल खाद की खपत 401.46 लाख मीट्रिक टन दर्ज की गई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद की जरूरत पूरी करने के लिए देश के बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना समेत कई जगहों पर केमिकल फर्टिलाइजर प्लांट लगे हुए हैं. इन प्लांट के जरिए 2022-23 में कुल उर्वरक उत्पादन 320 .76 लाख मीट्रिक टन रहा. जो मांग के मुकाबले काफी कम है. खाद की जरूरत पूरी करने के लिए सरकार उर्वरकों का आयात करती है. साल 2022-23 के दौरान केंद्र सरकार ने 128.39 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का आयात किया.

अब अगर कुल उर्वरक उत्पादन और आयात के आंकड़े देखें तो साल 2022-23 के दौरान 563 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता रही. जबकि, खपत 401 लाख मीट्रिक टन दर्ज की गई, यानी खपत के मुकाबले उर्वरक स्टॉक ज्यादा रहा. हालांकि, सालाना खपत और स्टॉक के आंकड़ों में मामूली बदलाव देखा जाता है.

Fertilizer Production and Consumption

उर्वरक खपत 600 लाख मीट्रिक टन के पार पहुंचने का अनुमान

2023-24 में के दौरान 570 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उर्वरकों की खपत दर्ज की गई है. जबकि, 2024-25 के लिए 600 लाख मीट्रिक टन खपत का आंकड़ा पार होने का अनुमान है. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार कृषि विकसित संकल्प यात्रा के दौरान किसानों को खासकर खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया है, जिसकी वजह से इस बार जून महीने तक खरीफ फसलों का रकबा बीते साल से 10 फीसदी से अधिक बढ़ गया है. धान, मक्का, बाजरा के साथ ही किसानों ने इस बार दलहन और तिलहन फसलों की खूब बुवाई की है. इसी वजह से खाद की मांग भी अचानक बढ़ी है.

किसानों को नकली खाद सप्लाई करने की वजह क्या है

भारतीय किसान एकता के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि सरकारी महकमे के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ऐन खाद की जरूरत के मौके पर कालाबाजारी की जाती है और किसानों को नकली खाद समेत अन्य कृषि उत्पाद खपाए जाते हैं. जब खाद की जरूरत होती है तो जालसाज किसानों के भोलेपन का फायदा उठाते हैं और नकली खाद की आपूर्ति कर अपनी जेबें भरते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा की प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों पर नकली खाद सप्लाई की जा रही है. हरको बैंक के एमडीए जनरल मैनेजर, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के प्रबंधक, कृषि विभाग के अधिकारी भी नकली खाद, बायोफर्टिलाइजर सप्लाई में शामिल होने के गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

किसान नेता लखविंदर औलख ने कहा कि नकली फर्टिलाइजर, बायोफर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड और बीज किसानों में खपाए जा रहे हैं. जून 2025 की शुरुआत में फिनिक्स प्लांट्स लाइफ केयर कंपनी ने मोनो एनपीके 22-22-11 सहकारी समितियों में लगभग 2.5 लाख गट्टे (50 किलो पैकिंग) सप्लाई किए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की शिकायत पर हमने निजी तौर पर प्राइवेट लैब से इसे चेक करवाया तो यह 0 प्रतिशत पाया गया. औलख ने कहा कि फोनिक्स प्लस लाइफसेवर कंपनी ने यमुनानगर, रेवाड़ी, फतेहाबाद सहित कई जिलों में नकली एनपीके सप्लाई किया है.

खाद-बीज और कीटनाशक के 15 हजार नमूने जांच में फेल

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023-24 के दौरान 1,33,588 बीज नमूने लिए गए जिनमें से 3,630 नमूने खराब पाए गए. जबकि, मिलावटी और नकली खाद की जांच के लिए 2023-24 के दौरान 1,81,153 नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 8,988 नमूने फेल पाए गए. इसी तरह 80,789 कीटनाशक नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 2,222 नमूने नकली पाए गए. वर्तमान में यूपी, एमपी समेत अन्य राज्यों में करीब 1000 लोगों पर कार्रवाई की गई है. जबकि, कई विक्रेताओं के लाइसेंस भी रद्द किए गए हैं.

खाद-बीज और कीटनाशकों के लिए देश में कानून

वर्तमान में उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत शासन-प्रशासन फर्जी और नकली उत्पाद बनाने वालों पर कार्रवाई की जाती है. नया कानून बनने से ऐसे जालसाजों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकेगी और उन्हें जेल भेजा जा सकेगा. बीज अधिनियम 1966 में संशोधन के बाद हरियाणा में दो साल तक की सजा और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. नकली बीजों, कीटनाशकों और उर्वरकों की धोखाधड़ी को रोकने और किसानों को क्वालिटी युक्त उपलब्धता के लिए ये हैं वर्तमान नियम –

  1. बीज अधिनियम 1966
  2. बीज नियम 1968
  3. बीज (नियंत्रण) आदेश 1983
  4. आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955
  5. कीटनाशक अधिनियम 1964
  6. कीटनाशक नियम 1971
  7. उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985

नए कानून से नकली खाद और कृषि उत्पाद कारोबार थमने की उम्मीद

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने जून 2025 में बिहार में कृषि विकसित संकल्प यात्रा के दौरान नकली खाद, बीज और कृषि उत्पादों पर लगाम लगाने के लिए नया कानून लाने की बात कही थी. अब फिर से उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र मध्य प्रदेश के रायसेन में फिर से नया कानून लाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि नकली और अमानक बीज-पेस्टिसाइड पर कार्रवाई के लिए मैंने मुख्यमंत्रियों को चिट्ठियां लिखी हैं. कई जगह छापेमारी अभियान चलाए जा रहे हैं. साथ ही हम कड़ा कानून बनाने पर भी विचार कर रहे हैं. अभी जो कानून है उसमें 1000 रुपये जुर्माना और कम सजा की वजह से प्रभावी नहीं हो पा रहा है. यह माफ करने लायक अपराध नहीं है, इसलिए नया कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं.

Published: 27 Jul, 2025 | 07:25 PM