Agriculture News: संघीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि साल 2019-20 से 2023-24 के बीच पंजाब में कुल कृषि योग्य भूमि 12,000 हेक्टेयर घट गई, जबकि हरियाणा में इसी अवधि में 59,000 हेक्टेयर बढ़ी. उन्होंने कहा कि पंजाब में कृषि योग्य क्षेत्र 2019-20 में 42.38 लाख हेक्टेयर था, जो धीरे-धीरे घटकर 2021-22 और 2022-23 में 42.25 लाख हेक्टेयर हुआ और 2023-24 में हल्का बढ़कर 42.26 लाख हेक्टेयर हो गया.
वहीं, हरियाणा में कृषि योग्य भूमि 2019-20 में 37.94 लाख हेक्टेयर थी, जो 2020-21 और 2021-22 में बढ़कर 38.47 लाख, 2022-23 में 38.50 लाख और 2023-24 में 38.53 लाख हेक्टेयर हो गई. मंत्री ने कहा कि ‘Land Use Statistics-at a Glance 2023-24’ के अनुसार देश की कुल कृषि योग्य भूमि स्थिर है. विभिन्न सरकारी योजनाओं के कारण कुल बुवाई क्षेत्र भी बढ़ा है, जो 2013-14 में 201.3 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 2023-24 में 217.8 मिलियन हेक्टेयर हो गया है.
किसान अधिक फसलों की कर रहे खेती
मंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीकों और प्रभावी नीतियों के अपनाने से कृषि में फसल घनत्व (cropping intensity) लगातार बढ़ा है, जो 2013-14 में 142.5 फीसदी से बढ़कर 2023-24 में 156.8 फीसदी हो गया. इसका मतलब है कि किसान अब एक ही जमीन पर साल में एक से अधिक बार फसल उगा सकते हैं.
1 जनवरी 2014 से लागू है यह एक्ट
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation & Resettlement (RFCTLARR) Act, 2013 लागू किया, जो 1 जनवरी 2014 से प्रभावी है. इस कानून के तहत सार्वजनिक हित के लिए भूमि अधिग्रहित की जा सकती है. कानून की धारा 10 में स्पष्ट कहा गया है कि बहु-फसल सिंचित भूमि को अधिग्रहित नहीं किया जा सकता, सिवाय विशेष परिस्थितियों में जब कोई विकल्प न हो. ऐसे मामलों में समान मात्रा में बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाना आवश्यक है.
8.79 लाख किसानों को अब तक मिला प्रशिक्षण
साथ ही केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की योजनाओं के आधार पर लागू किया जा रहा है. अब तक 623 जिलों में 17,639 प्राकृतिक खेती क्लस्टर बनाए जा चुके हैं और 8.79 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (CRP), कृषि सखियों और किसानों को मॉडल प्रदर्शन फार्म पर ऑन-फील्ड प्रशिक्षण देंगे. इसमें प्राकृतिक खेती की स्थानीय तकनीकें, बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र जैसे इनपुट तैयार करना शामिल है.
उनके मुताबिक, प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए मार्केट लिंकेज बढ़ाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक कृषि केंद्र (NCOF), गाजियाबाद ने PGS-India Natural नाम से ऑनलाइन प्रमाणन प्रणाली (NFCS) बनाई है. इससे प्राकृतिक खेती करने वाले किसान ऑनलाइन पंजीकरण और प्रमाणन ले सकते हैं.