अमित शाह ने देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी की रखी आधारशिला, 20 लाख लोग लेंगे ट्रेनिंग

अमित शाह ने गुजरात के आनंद में देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी की नींव रखी. यह यूनिवर्सिटी सहकारी संस्थाओं के 20 लाख कर्मचारियों को ट्रेनिंग देगी और क्षेत्र में भाई-भतीजावाद खत्म करेगी.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 6 Jul, 2025 | 10:39 AM

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home and Cooperation Minister Amit Shah) ने शनिवार को गुजरात के आनंद जिले में देश की पहली सहकारी क्षेत्र की राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) की आधारशिला रखी. यह यूनिवर्सिटी आनंद कृषि विश्वविद्यालय के पास स्थित वॉटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के परिसर में 125 एकड़ रुपये की लागत से बनाई जाएगी. अगले पांच सालों में यह यूनिवर्सिटी प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी (PACS), डेयरी, मछली पालन जैसी करीब 20 लाख सहकारी संस्थाओं के कर्मियों को ट्रेनिंग देगी.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी क्षेत्र में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज़्म) को खत्म करने की दिशा में काम करेगी. उन्होंने कहा कि जैसे पहले लोगों को नौकरी देकर बाद में ट्रेनिंग दी जाती थी, अब वैसा नहीं होगा. अब सिर्फ प्रशिक्षित लोगों को ही इस क्षेत्र में नौकरी मिलेगी. उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र में अभी जो कमजोरियां हैं और ट्रेनिंग की जो कमी है, TSU उसे दूर करेगी.  उनके मुताबिक, देश की लगभग 30 करोड़ आबादी यानी हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी रूप में सहकारी क्षेत्र से जुड़ा है, ऐसे में इस यूनिवर्सिटी की भूमिका बहुत अहम होगी.

इन विषयों की दी जाएगी ट्रेनिंग

उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइज्ड शिक्षा, ट्रेनिंग और रिसर्च के अवसर देगी. इसका उद्देश्य जमीनी स्तर की सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाना है, ताकि नवाचार, क्षमता विकास, बेहतर गवर्नेंस और समावेशी व टिकाऊ ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके. यहां पीएचडी, मैनेजरियल डिग्री, सुपरवाइजरी लेवल के डिप्लोमा और ऑपरेशनल लेवल के सर्टिफिकेट जैसे फ्लेक्सिबल और मल्टी-डिसिप्लिनरी कोर्स भी कराए जाएंगे.

दूसरे राज्यों में भी खोले जाएंगे कैंपस

साथ ही विशेष विषयों पर आधारित स्कूल इस यूनिवर्सिटी के कैंपस और अन्य राज्यों में भी खोले जाएंगे. साथ ही, एक नेशनल नेटवर्क तैयार किया जाएगा ताकि सहकारी शिक्षा और ट्रेनिंग की गुणवत्ता को एक जैसा बनाया जा सके. यूनिवर्सिटी अगले चार सालों में देश की 200 से अधिक मौजूदा सहकारी संस्थाओं को जोड़ने की योजना पर काम करेगी. अभी भारत में ऐसा कोई संस्थान नहीं है जो सहकारी क्षेत्रों में खासकर ग्रामीण इलाकों के लिए नवाचार और सस्ती तकनीकों पर रिसर्च और डेवलपमेंट करे. इसे ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी में एक खास R&D काउंसिल बनाई जाएगी, जो इस क्षेत्र में रिसर्च करेगी और सहयोगी संस्थानों में भी इसे बढ़ावा देगी.

कौन थे कृषिभाई पटेल

इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो भारत में सहकारिता आंदोलन के जनक माने जाते हैं और अमूल की स्थापना में अहम भूमिका निभा चुके हैं. त्रिभुवनदास पटेल का जन्म 22 अक्टूबर 1903 को खेड़ा (आनंद) में हुआ था और उनका निधन 3 जून 1994 को हुआ था.

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Published: 5 Jul, 2025 | 04:28 PM

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