हरियाणा के 25 फीसदी खेतों की मिट्टी में पोटैशियम की कमी, 3 हजार सैंपल जांच में खुलासा

मृदा विभाग ने हर जिले से सैंपल एकत्रित किए गए थे, जिनमें से तीन हजार से अधिक सैंपल के रिजल्ट का विश्लेषण किया गया.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 5 Aug, 2025 | 10:58 PM

फसलों के उत्पादन में हरियाणा हमेशा से ही सबसे आगे रहा है, लेकिन सीसीएस यूनिवर्सिटी के मृदा विभाग के ताजा सैंपल जांच में हुए खुलासे ने कृषि वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि राज्य की 25 फीसदी जमीन की मिट्टी में पौटैशियम की कमी पाई गई है. यह स्थिति फसलों के उत्पादन में गिरावट की वजह बन रही है. क्योंकि, पौटेशियम कम होने से फसल की ग्रोथ धीमी होती है और उत्पादन पर विपरीत असर पड़ता है.

क्यों खराब हो रही मिट्टी की सेहत

हरियाणा फसल उत्पादन में सदैव अग्रणी राज्य रहा है. कई क्षेत्रों में किसान साल में एक से अधिक फसलें ले रहे हैं इससे उत्पादन तो बढ़ रहा है, लेकिन इस एग्रीकल्चर प्रैक्टिस से मिट्टी की सेहत खराब हो रही है. प्रदेश में पहली बार 25 फीसदी भूमि में पोटेशियम की कमी पाई गई है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह चिंता का विषय है क्योंकि हरियाणा पोटेशियम की कमी वाला राज्य नहीं रहा है.

फॉस्फोरस बढ़ा, पौटैशियम घटा

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मृदा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश तोमर ने कहा कि मृदा विभाग ने हर जिले से सैंपल एकत्रित किए गए थे, जिनमें से तीन हजार से अधिक सैंपल के रिजल्ट का विश्लेषण किया गया. इसमें पाया गया कि जमीन में फास्फोरस में बढ़ोतरी हुई है लेकिन पोटैशियम में कमी आई है. यह स्थिति मिट्टी की सेहत के हिसाब से ठीक नहीं है.

मिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए क्या करें किसान

विभागध्यक्ष ने कहा कि जमीन में पोटेशियम की मात्रा कम होने से फसल का उत्पादन भी घट जाता है. इससे किसान को ज्यादा लागत में कम उपज का खतरा उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अब किसानों को यूरिया और डीएपी खाद के अलावा खेतों में पोटाश की कमी को दूर करने के लिए एमओपी डालने की सलाह दी जाने लगी है. उन्होंने कहा कि शुगर मिल से निकलने वाली गन्ने की मैली को भी खेत में डालकर फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है.

Soil Health Report

तीन साल में एक बार खेत की मिट्टी की जांच जरूरी

मृदा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश तोमर ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि तीन साल में एक बार अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करवानी चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही किसानों को अपने खेत में खाद डालनी चाहिए. बता दें कि मिट्टी की ताकत बढ़ाने के लिए राज्य सरकार नेचुरल और ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर दे रही है, ऐसे किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी का लाभ भी दिया जा है.

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Published: 5 Aug, 2025 | 03:02 PM

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