अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं और सोचते हैं कि सिर्फ खरीफ के मौसम में ही उगाई जा सकती है तो अब सोच बदलने का वक्त आ गया है. जायद यानी गर्मी के मौसम में भी कुछ खास किस्मों की मदद से धान की अच्छी फसल ली जा सकती है. बस जरूरत है सही बीज चुनने, बीज का शोधन करने और बुवाई की सही तकनीक अपनाने की.गर्मी की तेज लू हो या सुबह-शाम की हल्की ठंड, कुछ खास धान की किस्में इन दोनों मौसमों को आसानी से झेल जाती हैं. सही प्लानिंग हो तो जायद में भी धान की खेती मुनाफे वाला सौदा बन सकती है.
क्यों होनी चहिए जायद में धान की खेती?
देश में अनाज की बढ़ती मांग, रबी फसलों की जल्दी कटाई और सिंचाई के बेहतर साधनों ने किसानों को एक नया मौका दिया है, जायद मौसम में भी खेती करने का. दरअसल रबी और खरीफ के बीच आने वाला यह छोटा सा मौसम अब सिर्फ मूंग, उर्द, मक्का या सांवा जैसी पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं है. सही जानकारी और तैयारी हो तो इस मौसम में धान जैसी फसल भी सफलतापूर्वक ली जा सकती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का अच्छा अवसर मिलता है.
कहां करें जायद में धान की खेती?
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जायद मौसम में धान की खेती के लिए निम्न भूमि और जलभराव वाले खेत उपयुक्त माने जाते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, दक्षिण भारत के कई हिस्सों में यह खेती पहले से ही सफलतापूर्वक की जा रही है. हालांकि, उत्तर भारत में तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण फसल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. ऐसे में जायद में धान की खेती करते समय कुछ जरूरी सावधानियां अपनाना बेहद जरूरी है, ताकि बेहतर उत्पादन मिल सके और किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
इन किस्मों का चयन सबसे जरूरी
जायद में सभी खरीफ किस्में नहीं उगाई जा सकतीं, क्योंकि इस मौसम की परिस्थितियां कठिन होती हैं. इसके लिए ऐसी खास किस्में चाहिए जो ठंड में अंकुरण कर सकें, शुरुआती विकास सहें, गर्मी व तेज धूप में बाली बनने और दाना पकने की प्रक्रिया में टिक सकें. इसके लिए नरेंद्र–118, नरेंद्र–97, साकेत–4, गोविंद पंत धान–12, सहभागी, बरानी दीप और शुष्क सम्राट जैसी किस्में उपयुक्त हैं. ये किस्में जायद के मौसम में भी अच्छी उपज देती हैं और किसान को मुनाफा दिला सकती हैं.
बीज की मात्रा पर ध्यान देना जरूरी
गर्मियों में पौधों के गिरने का खतरा कम होता है, इसलिए घनी बुवाई फायदेमंद होती है. वहीं रोपाई के लिए 30–40 किलो और सीधी बुवाई के लिए 60–90 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. इससे पौधे मजबूत बनते हैं और उत्पादन भी बढ़ता है. क्योंकि घनत्व सही रखने से पौधों को बेहतर पोषण मिलता है और खेत की हर इकाई भूमि का बेहतर उपयोग हो पाता है.
बीज शोधन से बचेगी फसल
फसल को रोगों से बचाने के लिए बीज शोधन जरूरी है. अगर खेत में जीवाणु झुलसा की समस्या हो तो 25 किलो बीज को रातभर पानी में भिगोकर उसमें 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसिन मिलाएं. फिर बीज को छाया में सुखाकर नर्सरी में बोएं. यदि रोग की समस्या न हो तो बीज को पानी में भिगोकर निकालें और 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8–10 लीटर पानी में घोलकर बीजों पर छिड़कें. ध्यान दें कि जब बीज सूख जाएं, तब नर्सरी में बोना चाहिए.