Maa Katyayani Poojan Vudhi: शक्ति, साहस, और युद्ध की देवी मां कात्यायनी को नवरात्रि में मां दुर्गा के छठें स्वरूप के तौर पर पूजा जाता है. ये दिन दुष्टों का नाश करने वाली और भक्तों को अभयदान देने वाली मां कात्यायानी का है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के छठें दिन को विशेष रूप से कन्या पूजन, मांगलिक कार्यों की सिद्धि, और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि इस दिन कुंवारी कन्याएं मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना कर मनचाहा वर पाने की कामना करती हैं. आइए जान लेते हैं कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा किस विधि से करनी चाहिए और क्या हैं मां का प्रिय भोग.
इस विधि से करें मां की पूजा
शारदीय नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनें. पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए चाहें तो मां की पूजा पीले रंग के कपड़े पहनकर करें. इसके बाद पूजा वाले स्थान पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं जिसपर मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें. मां की मूर्ति का जल से आचमन करें और रोली, अक्षत, चंदन, फूल, धूप, दीप आदि से पूजा करें. अंत में मां की आरती कर अपनी इच्छापूर्ति के लिए कामना करें.
मां को चढ़ाएं शहद का भोग
शहद को मां कात्यायनी का प्रिय भोग माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी साधक मां को शहद का भोग चढ़ाता है, उसे निर्मल बुद्धि, स्वास्थ्य, और रोगों से रक्षा का वरदान मिलता है. ध्यान रहे कि एक साफ बर्तन में शहद रखकर मां को भोग अर्पित करें और उनके मंत्र ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः का जप करें. इसके अलावा मां को शुद्ध केसर, चावल और दूध से बनी खीर भी अर्पित की जा सकती है.
कात्यायनी का क्या अर्थ है
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं. कात्यायनी माता को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है. कात्यायनी, नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति हैं. ये बुराई का नाश करने वाली देवी हैं. इनकी पूजा से दुश्मनों का संहार होता है. कात्यायनी का अर्थ है अहंकार और कठोरता का नाश. कत गोत्र में जन्म लेने के कारण इन्हें मां कात्यायनी कहा जाता है. देवी कात्यायनी इसलिए कहलाती हैं क्योंकि वे ऋषि कात्यायन के महान पुण्य और तेज से जन्मी थीं.