भारत में किसान अच्छी आमदनी करने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ अन्य व्यावसायिक फसलों की खेती भी करने लगे हैं. मसाला फसलें भी उन्हीं में से एक है. ऐसी ही एक प्रमुख मसाला फसल है मिर्च. मिर्च भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है जिसका इस्तेमाल खाने को तीखा बनाने और स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. मिर्च एक ऐसी मसाला फसल है जिसकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है. यही कारण है कि किसान इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. मिर्च की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित होती है अगर किसान इसकी खेती सही तरीके से करें. बाजार में भारी मांग होने के कारण मिर्च की खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प बन चुकी है.
ऐसे करें खेत की तैयारी
मिर्च की फसल बेहद नाजुक होती है और ज्यादा नमी नहीं सहन कर पाती है, इस कारण से ज्यादा बारिश वाले इलाकों में इसकी खेती करना सही नहीं होती है. मिर्च की फसल गर्म जलवायु में ज्यादा अच्छे से बढ़ती है. मिर्च की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या हल्की दोमट मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 6 से 7 के बीच का होना चाहिए. बीज बुवाई से पहले जरूरी है कि किसान खेत की गहराई से 2 से 3 बार अच्छे से जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार नष्ट हो सकें. इसके बाद खेत को पाटा लेकर समतल कर लें ताकि पानी जमा न हो सके. किसानों को ध्यान रखना होगा कि अंतिम जुताई के समय 15 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में जरूर मिलाएं.

मिर्ची की खेती किसानों के लिए है फायदेमंद (Photo Credit- Canva)
बीज बुवाई का सही तरीका
रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है, ऐसे में किसान जनवरी से फरवरी के महीने में मिर्च की फसल की बुवाई कर सकते हैं. बता दें कि, मिर्च की प्रति एकड़ फसल के लिए लगभग 250 से 300 ग्राम बीज की जरूरत होती है. बीजों की बुवाई से पहले जरूरी है कि किसान फफूंदनाशक दवा से बीजों का उपचार जरूर करें. मिर्च के बीजों को कतार से कतार की दूरी 45 से 60 सेमी होनी चाहिए, वहीं पौधों से पौधों की दूरी 30 से 45 सेमी तक होनी चाहिए. बता दें कि, मिर्च के बीजों को पहले नर्सरी में बोया जाता है, बाद में 30 से 35 दिन के बाद खेत में पौधों की रोपाई की जाती है. एक बार जब मिर्च की फसल पर फल लगने लगें तो उन्हें सहारा देना फायदेमंद हो सकता है.
सिंचाई और कीट नियंत्रण है जरूरी
किसी भी फसल के बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है कि उसे समय पर सही मात्रा में पानी दिया जाए. साथ ही फसल को कीटों और रोगों के प्रकोप से बचाया जाए. बता दें कि, अगर किसानों ने गर्मियों में मिर्च की फसल लगाई है तो 7 से 10 दिन के अंतर पर खेत की सिंचाई करें. वहीं सर्दियों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. ध्यान रखें कि खेत में पानी न जमने पाए. पानी जमने की स्थिति में फसल जड़ से कमजोर होकर नष्ट हो जाती है. अन्य फसलों की तरह मिर्च की फसल में भी कीटों और रोगों का संक्रमण होना आम बात है. विल्ट, पत्तियों पर धब्बे पड़ना, झुलसा रोग आदि और थ्रिप्स,सफेद मक्खी, फल छेदक कीट आदि मिर्च की फसल को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. इनकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि किसान जैविक कीटनाशक. नीम का तेल आदि का इस्तेमाल करें.

मिर्च की फसल में लगने वाले कीट (Photo Credit)
कटाई का समय और पैदावार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिर्च की फसल बुवाई के करीब 60 से 75 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. एक बार फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाए तो हर 7 से 10 दिन के अंतर पर तुड़ाई करनी चाहिए ताकि पौधा और ज्यादा फल दे. बात करें मिर्च की फसल से मिलने वाले उत्पादन की तो प्रति एकड़ मिर्च की फसल से किसान औसतन करीब 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. वहीं सूखी मिर्च में ये उत्पादन 10 से 15 क्विंटल तक होती है.

प्रति एकड़ फसल से मिल सकती है 300 क्विंटल तक पैदावार (Photo Credit- Canva)
लागत और मुनाफे का पूरा गणित
कोई किसान अगर प्रति एकड़ जमीन पर मिर्च की खेती करता है तो उसकी कुल अनुमानित लागत 19 हजार रुपये से शुरू होकर 27 हजार रुपये तक जा सकती है. बाजार में मिर्च की कीमत 10 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. अगर कोई किसान औसतन 100 क्विंटल यानी 10 हजार किलोग्राम मिर्ची की पैदावार करता है तो औसतन 15 रुपये प्रति किलोग्राम के अनुसार किसान 1 एकड़ पर की गई मिर्ची की खेती से 1 लाख 50 हजार रुपये की कमाई कर सकता है. इस कमाई से अगर 27 हजार रुपये लगात का घटा दिया जाए तो भी किसान को प्रति एकड़ मिर्च की फसल से 1 लाख 23 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.