आंध्र प्रदेश- तेलंगाना में कपास की फसल पर ‘बोल रॉट’ का कहर, किसानों को 20 फीसदी नुकसान का डर

बोल रॉट सिर्फ उपज को ही नहीं घटाता, बल्कि कपास के रेशों की गुणवत्ता को भी खराब कर देता है. खराब गुणवत्ता का सीधा असर बाजार दाम पर पड़ता है, जिससे किसानों की आय घट सकती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 26 Aug, 2025 | 09:36 AM

कपास किसानों के लिए यह साल उम्मीद और चुनौती दोनों लेकर आया है. जहां समय पर हुई बारिश से बुवाई में बढ़ोतरी हुई थी, वहीं अब लगातार नमी और अधिक बरसात ने ‘बोल रॉट’ नामक बीमारी का खतरा बढ़ा दिया है. यह बीमारी कपास की गांठों (फलों) को सड़ा देती है, जिससे उत्पादन कम होता है और कपास की गुणवत्ता भी गिर जाती है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई हिस्सों में किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं.

रोग की स्थिति

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, जोधपुर स्थित साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (SABC) और केवीके बनवासी की टीम ने फील्ड सर्वे में पाया कि कुरनूल और रायलसीमा के अन्य इलाकों में बोल रॉट तेजी से फैल रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी भारत में कपास उत्पादन को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन चुकी है.

कितना गंभीर है प्रकोप?

कपास विशेषज्ञ और SABC के अध्यक्ष सी.डी. माये के अनुसार, कुरनूल जिले में खरीफ 2025-26 के दौरान बोल रॉट का असर 20 फीसदी से अधिक दर्ज किया गया है. यह बीमारी आम तौर पर तभी बढ़ती है जब वातावरण ज्यादा आर्द्र (humid) और गीला हो. इस बार लगातार बारिश ने इसके फैलाव को और तेज कर दिया है.

किसानों की मुश्किलें

कई किसानों ने पौधों में झुकाव (drooping) और फलों के सड़ने की शिकायत की है.

कुछ जगहों पर कपास की गांठें काली पड़कर गिर रही हैं, जिससे उपज पर सीधा असर पड़ रहा है.

वैज्ञानिकों ने किसानों को तुरंत स्प्रे करने और खेतों में जलभराव रोकने की सलाह दी है.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते कदम उठाए जाएं तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है.

संभावित नुकसान

SABC के निदेशक भगिरथ चौधरी का कहना है कि इस बीमारी के कारण कपास की पैदावार में 15-20 फीसदी तक गिरावट आ सकती है. इस बार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अच्छी बारिश की वजह से रिकॉर्ड स्तर पर बुवाई हुई थी. कपास की खेती 3.39 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है. लेकिन अब इस बीमारी ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने का खतरा पैदा कर दिया है.

गुणवत्ता पर भी असर

बोल रॉट सिर्फ उपज को ही नहीं घटाता, बल्कि कपास के रेशों की गुणवत्ता को भी खराब कर देता है. खराब गुणवत्ता का सीधा असर बाजार दाम पर पड़ता है, जिससे किसानों की आय घट सकती है.

समाधान और शोध की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि बोल रॉट जैसी बीमारियों से निपटने के लिए केवल तात्कालिक उपाय काफी नहीं हैं, बल्कि इसके लिए लंबी अवधि की रणनीति जरूरी है. सबसे पहले, ऐसे बीज विकसित करने होंगे जो रोग-प्रतिरोधी हों, ताकि फसल पर इस तरह की बीमारियों का असर कम से कम हो. इसके अलावा, आधुनिक जीन संपादन (Genome Editing) तकनीक का उपयोग करके फसल को अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाया जा सकता है.

वहीं, खेतों में सही जल निकासी और सिंचाई प्रबंधन भी बेहद अहम है, ताकि लगातार नमी के कारण रोग फैलने की संभावना कम हो. इन उपायों को अपनाने से किसानों को भविष्य में इस बीमारी से बड़ी राहत मिल सकती है और कपास उत्पादन स्थिर बना रह सकता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%