महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने किसानों के हित में एक बड़ी मांग की है. उन्होंने कहा कि किसानों को हर्बीसाइड-टॉलरेंट (HT) कपास के बीज इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने यह अनुमति ट्रायल के तौर पर देने की मांग की है, ताकि किसान खुद इसके असर को देख सकें. ये बीज जड़ी-बूटी मारक दवाओं को सहन करने वाले होते हैं. इससे फसल को नुकसान नहीं पहुंचने की संभावना कम रहती है, पैदावार भी अच्छी होती है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोकाटे ने कहा है कि ये बीज अभी कानूनी रूप से इस्तेमाल नहीं किए जा सकते, क्योंकि इन्हें पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) की मंजूरी नहीं मिली है. उन्होंने ये बात हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित करते हुए कही, जहां ‘वन नेशन, वन एग्रीकल्चर, वन टीम’ मिशन की शुरुआत की गई. कोकाटे ने यह भी माना कि भले ही ये बीज फिलहाल गैरकानूनी हैं, लेकिन गुजरात से ब्लैक मार्केट के जरिए ये बीज गांवों में पहुंच चुके हैं. साथ ही किसान इन्हें पसंद करते हैं, क्योंकि इससे खरपतवार पर हर्बीसाइड छिड़कने भर से काम चल जाता है और मजदूरी का खर्च काफी कम हो जाता है.
अब मजदूरों की कमी होगी दूर
उन्होंने यह भी कहा कि गांवों और दूरदराज के इलाकों में मजदूरों की कमी एक बड़ी चुनौती है, जिसे मशीनीकरण से दूर किया जा सकता है. वहीं, कपास तोड़ने के लिए एक मशीन तैयार की जा रही है. इसके अलावा, खेतों में काम करने वाले मजदूरों को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत आंशिक रूप से शामिल करने का भी विकल्प है, ताकि उन्हें रोजगार और किसानों को मदद मिल सके.
क्या होता है हर्बीसाइड-टॉलरेंट कपास
हर्बीसाइड-टॉलरेंट कपास के बीज ऐसे बीज होते हैं जिन्हें जेनेटिक तरीके से बदला गया है. ये बीज कुछ खास खरपतवार मारने वाली दवाओं (हर्बीसाइड) को झेल सकते हैं. भारत में इन बीजों का इस्तेमाल अभी भी विवाद का विषय है. सरकार ने अब तक इनकी खेती को पूरी तरह से मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि भारत में बीटी कपास ही एकमात्र ऐसी जेनेटिकली बदली गई फसल है जिसे सरकार ने खेती के लिए मंजूरी दी है.