तेल उद्योग पर सख्ती: अब हर महीने सरकार को देनी होगी उत्पादन, बिक्री और आयात की पूरी जानकारी

नए नियमों में बताया गया है कि "वेजिटेबल ऑयल" यानी ऐसा कोई भी तेल जो तेल बीज, खल या पौधों से निकलता है. चाहे वो कच्चा तेल हो या रिफाइंड, हाइड्रोजेनेटेड या मिक्स किया गया हो, सब पर यह नियम लागू होगा.

नई दिल्ली | Published: 4 Aug, 2025 | 08:22 AM

अब से खाने के तेल बनाने वाली कंपनियों को हर महीने सरकार को यह बताना होगा कि उन्होंने कितना तेल बनाया, कितना बेचा, कितना आयात किया और उनके पास कितना स्टॉक है. केंद्र सरकार ने यह नियम “एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट” के तहत लागू किया है, जिससे खाने के तेल की उपलब्धता और कीमतों पर नियंत्रण रखा जा सके.

क्या है नया आदेश?

सरकार ने “वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी रेगुलेशन ऑर्डर, 2025” को 1 अगस्त से लागू कर दिया है. इसके तहत, हर तेल निर्माता को हर महीने की 15 तारीख तक पिछले महीने का पूरा ब्योरा देना होगा. यह जानकारी एक खास पोर्टल पर ऑनलाइन दी जाएगी.

इसमें इन सब बातों का विवरण देना अनिवार्य है:

  • किस तेल को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया गया
  • कितनी मात्रा में किस प्रकार का तेल बना
  • कितना तेल बिका, आयात हुआ या निर्यात किया गया
  • किस तरह का स्टॉक बचा है और कितना

जांच और कार्रवाई भी होगी

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अगर कोई कंपनी गलत जानकारी देती है या जानकारी छुपाती है, तो सरकारी अधिकारी उनके स्टॉक की जांच कर सकते हैं, यहां तक कि जब्त भी कर सकते हैं.

तेल की परिभाषा भी तय

नए नियमों में बताया गया है कि “वेजिटेबल ऑयल” यानी ऐसा कोई भी तेल जो तेल बीज, खल या पौधों से निकलता है. चाहे वो कच्चा तेल हो या रिफाइंड, हाइड्रोजेनेटेड या मिक्स किया गया हो, सब पर यह नियम लागू होगा.

पंजीकरण जरूरी

अब जो भी कोई तेल बनाना, बेचना या स्टॉक करना चाहता है, उसे उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्रालय के तहत “शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल निदेशालय” से पंजीकरण कराना होगा.

कुछ सवाल अब भी अनसुलझे

हालांकि इस आदेश से पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन कुछ मुद्दे अब भी अस्पष्ट हैं. उदाहरण के तौर पर, क्या छोटे व्यापारी या पैकिंग करने वाले आयातक भी “प्रोड्यूसर” की श्रेणी में आएंगे? और क्या रिटेलर पर यह नियम लागू होगा? इस पर अभी स्थिति साफ नहीं है.

उद्योग का क्या कहना है?

इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने कहा कि संगठित तेल उद्योग पहले से ही पारदर्शी काम करता है और वो सरकार को हर जरूरी जानकारी देने को तैयार है. लेकिन असंगठित क्षेत्र यानी हजारों छोटे-छोटे तेल मिलें और प्रोसेसिंग यूनिट के लिए यह नियम पालन करना चुनौतीपूर्ण होगा.

IVPA ने यह भी कहा कि वह सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में सुधार के लिए काम करता रहेगा, ताकि खाने के तेल के बाजार में स्थिरता बनी रहे.