अमरूद की खेती बना सकती है अमीर, इन किस्मों का चुनाव करें किसान

अमरूद की खेती भारत में एक लाभदायक विकल्प बनती जा रही है, क्योंकि इसकी मांग घरेलू और विदेशी बाजार में लगातार बढ़ रही है और यह फल स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर है. कम लागत और अच्छी पैदावार के कारण यह खेती किसानों को अच्छा रिटर्न दे रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 28 Apr, 2025 | 08:30 AM

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अमरूद (Guava) की खेती किसानों के लिए नयी उम्मीद बनकर उभरी है. एक समय सिर्फ खाने के लिए उगाए जाने वाले अमरूद की आज देश-विदेश में जबरदस्त मांग है. खासकर सफेद और गुलाबी अमरूद ने खेती के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी अपनी अलग पहचान बना ली है. पोषण से भरपूर और कम देखभाल में बढ़ने वाला यह फल आज किसानों के लिए सेहत और समृद्धि दोनों का जरिया बनता जा रहा है.

दुनिया का सबसे बड़ा अमरूद उत्पादक

भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा अमरूद उत्पादक देश बन चुका है. यहां हर साल करीब 25 मिलियन टन अमरूद का उत्पादन होता है, जो दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों में अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यूपी में लगभग 22.93 प्रतिशत अमरूद का उत्पादन होता है. खेती में कम लागत और अच्छी पैदावार ने किसानों को अमरूद की तरफ आकर्षित किया है.

अमरूद की प्रमुख किस्में और उनके फायदे

भारत में करीब 30 किस्मों के अमरूद पाए जाते हैं, लेकिन अलाहाबाद सफेदा और लखनऊ 49 सबसे ज्यादा पसंद किया जाता हैं. सफेद अमरूद को उसकी मोटी फलत और स्वादिष्ट गूदे के लिए पसंद किया जाता है, वहीं गुलाबी अमरूद को मिठास और सुंदर रंग के कारण फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में खूब खरीदा जाता है.

पिंक अमरूद की खास किस्में जैसे कर्नाटक देसी, ताइवान और अर्का किरण का इस्तेमाल जूस, पल्प और अन्य प्रोसेस्ड फूड बनाने में किया जाता है. ये किस्में प्राकृतिक मिठास, गाढ़े गूदे और अच्छे ब्रिक्स वैल्यू (मीठापन मापने की इकाई) के लिए जानी जाती हैं, जो ड्रिंक और स्वीट प्रोडक्ट्स को बेहतरीन स्वाद देती हैं.

पूरे साल हो सकती है खेती

अमरूद की खेती का एक बड़ा फायदा यह है कि इसे पूरे साल उगाया जा सकता है. हालांकि, फसल की गुणवत्ता और मात्रा मौसम पर निर्भर करती है. उत्तर भारत में यह मुख्य रूप से अगस्त से दिसंबर के बीच पाई जाती हैं. वहीं, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सालभर अमरूद की खेती की जाती है. एक अमरूद का पेड़ 2-3 साल में फल देना शुरू कर देता है. एक 10 साल पुराने पेड़ से सालाना 10 से 100 किलो तक फल मिल सकते हैं.

अमरूद से सेहत भी और मुनाफा भी

अमरूद सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. ताजे फलों पर हुए एक सर्वे के मुताबिक, अमरूद में सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो हमारी त्वचा, हृदय और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. एक अमरूद में 125 मिलीग्राम विटामिन C होता है, जो एक दिन की जरूरत से कहीं ज्यादा है. इसके साथ ही इसमें संतरे से पांच गुना ज्यादा विटामिन C होता है. इसके अलावा यह फल कैल्शियम, पेक्टिन और फाइबर से भरपूर है, जो वजन घटाने, दिल की सेहत सुधारने और स्किन को चमकदार बनाने में मदद करता है. यही वजह है कि फूड प्रोसेसिंग कंपनियां अमरूद के पल्प, जूस, जैम, जेली, आइसक्रीम और दही जैसे उत्पाद बनाने में इसका खूब इस्तेमाल कर रही हैं.

किसानों के लिए बढ़ रहे कमाई के रास्ते

आज अमरूद की प्रोसेसिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. घरेलू और विदेशी बाजार में ताजे फलों, जूस, पल्प और अन्य उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है. ऐसे में अमरूद की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प बनती जा रही है. कम लागत, कम पानी की जरूरत और बेहतर बाजार मूल्य के कारण यह खेती किसानों को अच्छा रिटर्न दे रही है. अगर खेती में वैज्ञानिक तरीके और अच्छी किस्में अपनाई जाएं तो किसान अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

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Published: 28 Apr, 2025 | 08:30 AM

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