आज के दौर में खेती में सबसे बड़ी चुनौती मिट्टी की बिगड़ती सेहत है. लगातार यूरिया, पोटाश जैसे केमिकल उर्वरकों के इस्तेमाल से खेत की उर्वरक क्षमता घट रही है. ऐसे में किसान एक बार फिर देसी और प्राकृतिक विकल्पों की ओर लौट रहे हैं. सरसों की खल्ली एक ऐसा जैविक विकल्प है, जो मिट्टी को ताकत देने के साथ फसल को भी मजबूत बनाती है. ये खल्ली खेत में न सिर्फ जैविक तत्वों की कमी को पूरा करती है, बल्कि मिट्टी के ढांचे को भी बेहतर बनाती है. यही वजह है कि आज कई किसान केमिकल छोड़कर खल्ली को अपना रहे हैं, ताकि मिट्टी जिए और फसल लहराए.
केमिकल खाद से बढ़ते खतरे
खेती में केमिकल उर्वरकों और कीटनाशकों के भारी उपयोग से ना सिर्फ मिट्टी कमजोर हो रही है, बल्कि फसलों की क्वालिटी भी गिर रही है. यही वजह है कि खेत की जमीन धीरे-धीरे बंजर होने लगती है. इसके अलावा, केमिकल की मदद से उगाई गई फसलें इंसानों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही हैं. मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई शोधों में सामने आया है कि इन फसलों के सेवन से शरीर में गंभीर बीमारियां पनप सकती हैं. इसी वजह से कृषि विशेषज्ञ अब जैविक खेती की सलाह देते हैं और किसानों को प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं.
सरसों की खल्ली क्यों है फायदेमंद?
सरसों की खल्ली एक ऐसा जैविक उर्वरक है जिसमें पौधों की बढ़वार और मिट्टी की सेहत सुधारने वाले कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, बोरॉन और जिंक जैसी चीजें भरपूर मात्रा में होती हैं. इन तत्वों की मौजूदगी से फसलों में कल्ले तेजी से निकलते हैं, दानों में वजन और चमक आती है और उत्पादन बढ़ता है. इतना ही नहीं, इसका नियमित उपयोग मिट्टी में जैविक गतिविधियों को भी बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है.
इस्तेमाल करने का सही तरीका
वैसे तो सरसों की खल्ली का इस्तेमाल पशुओं के आहार में भी किया जाता है, लेकिन खेती में यह रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का एक बेहतर जैविक विकल्प है. किसान इसे फसल की रोपाई से पहले खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि खेत में पर्याप्त पानी भरा हो. इसके बाद 6-7 किलो सरसों की खल्ली को पीसकर या बारीक दानेदार बनाकर उस पानी में मिला दें. क्योंकि पानी में घुलने के बाद खल्ली का घोल मिट्टी में गहराई तक पहुंचता है और फसलों की जड़ों को मजबूती देता है. इसका असर पौधों की बढ़ने पर साफ दिखता है. इससे पौधे मजबूत बनते हैं, तेजी से विकसित होते हैं और फसल का उत्पादन भी बेहतर होता है.
खल्ली से फसल बढ़ेगी और मिट्टी की सेहत सुधरेगी
सरसों की खल्ली सिर्फ एक खाद नहीं, बल्कि खेती का देसी समाधान है. यह मिट्टी के अंदर छिपे सूक्ष्मजीवों के लिए अच्छा वातावरण बनाती है, जिससे जैविक गतिविधियां तेज होती हैं. इसके उपयोग से खेतों में खरपतवार पर काबू पाया जा सकता है और कीड़ों व रोगों से भी फसल को प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है. यही नहीं, यह मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखती है, जिससे खेती टिकाऊ बनती है.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसान यूरिया और पोटाश जैसे रासायनिक खादों की जगह सरसों की खल्ली का इस्तेमाल करें तो पैदावार में सुधार तो होगा ही, साथ में मिट्टी की सेहत भी बेहतर होगी. सबसे बड़ी बात, यह सस्ता, देसी और आसानी से मिलने वाला विकल्प है, जो जेब पर भी भारी नहीं पड़ता.