Mulching: खेती में करें मल्चिंग का इस्तेमाल, मिट्टी को नमी और पोषण देने में मददगार

मल्चिंग तकनीक को पलवार या मल्च भी कहा जाता है. यह तकनीक खरपरतवार को कंट्रोल करने और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में कारगर साबित होती है.

नोएडा | Updated On: 17 May, 2025 | 10:07 PM

देश में आज भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो पुराने और पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं. ऐसे में उनके सामने खेतों को कीट और रोगों से बचाकर रखना और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन खेती की एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से किसान बिना रासायनिक दवा और खाद के मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और साथ ही खेत को खरपतवारों से भी बचा सकते हैं. बता दें कि यह तकनीक किसानों के लिए सबसे अच्छी और सस्ती तकनीक है. हम बात कर रहे हैं मल्चिंग तकनीक की. तो चलिए खबर में आगे जान लेते हैं क्या है यह तकनीक और क्या है इसके फायदे.

क्या है मल्चिंग तकनीक

मल्चिंग तकनीक को पलवार या मल्च भी कहा जाता है. यह तकनीक खरपरतवार को कंट्रोल करने और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में कारगर साबित होती है. इस तकनीक से मिट्टी की नमी को बनाए रखने के साथ-साथ मिट्टी के तापमान को भी संतुलित करती है. साथ ही यह मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करती है. इस तकनीक की खास बात यह है कि आप अपने खेतों में खरपतवार और घास फूल की इस्तेमाल करके मल्चिंग कर सकते हैं.

कैसे काम करती है ये तकनीक

मल्चिंग तकनीक में मिट्टी की सतह को छाल, घास या प्लास्टिक शीट की परत से ढका जाता है.इस परत को मल्च की परत कहा जाता है. यह परत मिट्टी के कटाव, खरपतवारों और तापमान में आने वाले बदलावों से फसल को बचाकर रखती है. साथ ही इसकी मदद से मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद मिलती है. मल्च की ये परत खेतों में खरपतवरों को रोकने में मदद करती है.

मल्चिंग तकनीक के फायदे

मल्चिंग तकनीक की मदद से मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है जिसके कारण पौधों को कम पानी की जरूरत होती है. इस वजह से पानी की बचत भी होती है. इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. अपने पौधों को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए आप मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसकी एक और खास बात यह है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से खेत साफ और व्यवस्थित दिखते हैं.

क्या है इस तकनीक के नुकसान

एक ओर जहां मल्चिंग तकनीक के फायदे हैं वहीं दूसरी ओर मल्चिंग तकनीक के अपने कुछ नुकसान भी हैं. बता दें कि मल्चिंग तकनीक में मल्च की परत मिट्टी का हवा से संपर्क नहीं हो पाता जिसके कारण पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. साथ ही मिट्टी को हवा न मिल पाने के कारण जड़ें सड़ने भी लगती हैं, इसके साथ ही कम हवा के कारण पौधों पर फफूंद से जुड़े रोग भी बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है.

Published: 18 May, 2025 | 08:00 AM