तेलंगाना और कर्नाटक सहति कई राज्यों में जहां खाद की किल्लत है, वहीं हरियाणा में किसानों को भरपूर उर्वरक मिल रहा है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, हरियाणा को खरीफ 2025 के लिए कुल 10.07 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है. 1 अप्रैल से 19 जुलाई तक की अनुमानित मांग 5.91 लाख मीट्रिक टन थी, जबकि 8.54 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की गई. इसमें से 7.5 लाख मीट्रिक टन बेचा जा चुका है. साथ ही 1.04 लाख मीट्रिक टन स्टॉक में है और 16,307 मीट्रिक टन रास्ते में है. यही वजह है कि किसानों को भरपूर मात्रा में खाद मिल रही है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बावजूद हरियाणा में खाद की किल्लत की बात कही जा रही है. लेकिन हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने राज्य में खरीफ सीजन के दौरान खाद की कमी की खबरों को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है. मीडिया रिपोर्ट का जवाब देते हुए मंत्री ने साफ किया कि जिन आंकड़ों का जिक्र किया गया है, वे रबी सीजन से जुड़े हैं, न कि मौजूदा खरीफ सीजन से. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सहयोग से खाद की समय पर और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है.
कितनी है डीएपी की जरूरत
वहीं, अगर बात डीएपी (DAP) खाद की करें तो इस खरीफ सीजन में कुल आवश्यकता 2.83 लाख मीट्रिक टन है. अब तक 1.46 लाख मीट्रिक टन खाद मिल चुकी है, जबकि मांग 1.37 लाख मीट्रिक टन थी. वर्तमान में स्टॉक और आने वाली खेप को मिलाकर कुल 41,000 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है.
26 डीलरों के लाइसेंस निलंबित
मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्रदेशभर में कालाबाजारी और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए अब तक 1,974 निरीक्षण किए गए हैं. इस दौरान 8 एफआईआर दर्ज की गईं, 26 डीलरों के लाइसेंस निलंबित हुए, 1 लाइसेंस रद्द किया गया और 96 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे खरीफ सीजन के लिए जरूरत के हिसाब से ही खाद खरीदें और रबी सीजन के लिए स्टॉक जमा न करें, क्योंकि ऐसा करने से बाजार में नकली कमी पैदा हो सकती है.
पंजाब में भी खाद जमाखोरी के खिलाफ सरकार सख्त
वहीं, पंजाब में भी खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार सख्त है. मंगलवार को अमृतसर जिले में कृषि विभाग की एक टीम ने जिले में खाद बिक्री केंद्रों, गोदामों और थोक विक्रेताओं के रिकॉर्ड की जांच की. इस टीम में मुख्य कृषि अधिकारी बलजिंदर सिंह भुल्लर और संयुक्त निदेशक कृषि (नकदी फसलें) तेजपाल सिंह शामिल थे. यह जांच इसलिए की गई ताकि देखा जा सके कि थोक विक्रेता खुदरा डीलरों को समय पर और सही तरीके से यूरिया की आपूर्ति कर रहे हैं या नहीं.