Agriculture News: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल पर संसद में हुए हंगामे को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला किया. उन्होंने कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के सांसदों के व्यवहार को ‘शर्मनाक’ बताते हुए इसे गुंडाराज जैसा करार दिया. बीजेपी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष को बिल के नाम से इतनी आपत्ति क्यों है, जबकि सरकार का फोकस काम और रोजगार पर है. उन्होंने कहा कि विपक्ष सिर्फ नाम को लेकर राजनीति कर रहा है, जबकि सरकार ग्रामीणों के रोजगार और आजीविका को मजबूत करने पर काम कर रही है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संसद में कागज फेंकना, डेस्क पर चढ़कर नारेबाजी करना लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं का अपमान है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के आचरण से विपक्ष ने लोकतंत्र को बदनाम किया है.साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या महात्मा गांधी ऐसे व्यवहार को स्वीकार करते. विपक्ष मूल कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के नाम में बदलाव का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि नाम से ज्यादा जरूरी देश और गांवों के लिए काम करना है.
अब साल में 125 दिन मिलेगा रोजगार
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष का ऐसा आचरण लोकतंत्र को कमजोर करता है और उसे भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश जैसा लगता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि विकसित भारत का निर्माण विकसित गांवों से होगा. इसी सोच के तहत गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए 100 दिन की रोजगार गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन किया गया है. इसके लिए 1 लाख 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का प्रावधान किया गया है, जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 95 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस फंड का वितरण पूरी तरह न्यायपूर्ण और पारदर्शी तरीके से हो.
गरीबी-मुक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इसी उद्देश्य से पंचायतों को एबीसी ग्रेडिंग के तहत कम विकसित, औसत और अधिक विकसित श्रेणियों में बांटा जाएगा, ताकि उनकी वास्तविक जरूरत के अनुसार धन उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने कहा कि जहां विकास कम है और रोजगार की जरूरत ज्यादा है, वहां अधिक संसाधन दिए जाएंगे. इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. मेरा स्पष्ट मानना है कि विकसित भारत का रास्ता विकसित गांवों से होकर ही जाता है. 125 दिन की रोजगार गारंटी के माध्यम से यह योजना गांवों को स्वयंपूर्ण, विकसित, रोजगारयुक्त और गरीबी-मुक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है.