केंद्र सरकार संसद में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को खत्म करने के लिए एक नया बिल लाने जा रही है. मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 दिन का मजदूरी रोजगार कानूनी रूप से मिलता था. इसकी जगह अब विकसित भारत—गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण): वीबी- जी राम जी बिल, 2025 लाया जाएगा. इस नए बिल के तहत खर्च की जिम्मेदारी राज्यों पर ज्यादा होगी. फंडिंग का पैटर्न 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य का होगा. जबकि अभी मनरेगा में मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है और सामग्री लागत का 75 प्रतिशत केंद्र देता है. यानी नए कानून में राज्यों की आर्थिक भागीदारी पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी.
कहा जा रहा है कि यह बिल विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप एक नया ग्रामीण विकास ढांचा तैयार करने के लिए लाया जा रहा है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के हर ऐसे परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य बिना कौशल वाला शारीरिक काम करना चाहते हैं, हर वित्तीय वर्ष में 125 दिन का मजदूरी रोजगार कानूनी गारंटी के साथ दिया जाएगा. इस कानून का उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त, आत्मनिर्भर, तेजी से विकसित और मजबूत बनाना है, ताकि समग्र विकास और सभी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके.
अब 125 दिनों तक मिलेगा काम
नए बिल में रोजगार की गारंटी 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है. मजदूरी दरें केंद्र सरकार तय करेगी, लेकिन वे मनरेगा की मौजूदा मजदूरी से कम नहीं होंगी. मजदूरी का भुगतान हर हफ्ते या अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा. अगर 15 दिन में काम नहीं मिलता है, तो राज्य सरकार को बेरोजगारी भत्ता देना होगा. इस बिल में मनरेगा से एक बड़ा बदलाव यह है कि खेती के पीक सीजन में काम नहीं दिया जाएगा. राज्य सरकारें साल में अधिकतम 60 दिन तय करेंगी, जिनमें बुवाई और कटाई के समय काम बंद रहेगा. इसका मकसद किसानों को मजदूरों की कमी से बचाना और ग्रामीण श्रम बाजार में संतुलन बनाए रखना है.
कामों को चार मुख्य श्रेणियों में बांटा गया
बिल के तहत कामों को चार मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है. जल सुरक्षा के तहत चेक डैम, तालाब, भूजल रिचार्ज, सिंचाई और वृक्षारोपण होंगे. बुनियादी ग्रामीण ढांचे में सड़कें, स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वच्छता, सोलर लाइट और आवास से जुड़े काम शामिल हैं. आजीविका से जुड़े ढांचे में भंडारण, बाजार, स्वयं सहायता समूह भवन, डेयरी, मत्स्य पालन और कम्पोस्ट यूनिट बनाए जाएंगे. वहीं जलवायु और आपदा से सुरक्षा के लिए बाढ़ नियंत्रण, चक्रवात शेल्टर, तटबंध और आग से बचाव जैसे कार्य किए जाएंगे.
सख्त निगरानी व्यवस्था लाई गई
नए बिल में मनरेगा की तुलना में काफी सख्त निगरानी व्यवस्था लाई गई है. इसके तहत मजदूरों की बायोमेट्रिक पहचान, जियो-टैग किए गए कार्य स्थल, डिजिटल मस्टर रोल (ई-मस्टर), रियल-टाइम डैशबोर्ड, हर हफ्ते सार्वजनिक जानकारी जारी करना, एआई आधारित फर्जीवाड़ा रोकने की व्यवस्था और ग्राम सभा द्वारा अनिवार्य सोशल ऑडिट शामिल होंगे. इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों बढ़ेंगी.
2005 में यूपीए सरकार ने लागू किया था मनरेगा
मनरेगा को वर्ष 2005 में यूपीए सरकार ने लागू किया था और 2 अक्टूबर 2009 को इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) रखा गया. इस कानून के तहत काम को कानूनी अधिकार बनाया गया था, यानी मांग करने पर सरकार को रोजगार देना अनिवार्य है. मनरेगा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबी कम करना, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना और गांवों में स्थायी व उपयोगी संपत्तियां तैयार करना है.