2050 तक 160 करोड़ आबादी का पेट भरेंगे किसान, FAIFA ने बताया खेती का नया रोडमैप

किसान दिवस से पहले दिल्ली में FAIFA ने देश की खाद्य सुरक्षा को लेकर बड़ा मंथन किया. संगठन ने कहा कि बढ़ती आबादी और बदलती खानपान की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती को मजबूत बनाना जरूरी है. इसके लिए नई तकनीक, टिकाऊ खेती और किसानों को आर्थिक सहारा देना समय की मांग है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 18 Dec, 2025 | 09:20 PM

Kisan Diwas 2025 : जब देश किसान दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, उसी समय किसानों के भविष्य और देश की खाद्य सुरक्षा को लेकर एक अहम मंथन राजधानी दिल्ली में हुआ. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस (FAIFA) ने साफ कहा है कि अगर भारत को 2050 तक 160 करोड़ लोगों का पेट भरना है, तो खेती में करीब 70 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन करना होगा. इस लक्ष्य को पाने में किसान देश की पहली और सबसे मजबूत ढाल हैं. किसान दिवस 2025 से पहले FAIFA ने संविधान क्लब, नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया. इसका विषय था- बढ़ती खाद्य मांग और आर्थिक विकास की जरूरतें. इस मंच पर किसानों, विशेषज्ञों और नीति से जुड़े लोगों ने मिलकर खेती के भविष्य की दिशा तय करने पर चर्चा की.

किसानों के बिना खाद्य सुरक्षा संभव नहीं

सेमिनार में यह बात उभरकर सामने आई कि भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है. 2050 तक यह 160 करोड़ से ज्यादा हो सकती है. साथ ही लोगों की आमदनी  बढ़ रही है, मध्यम वर्ग बड़ा हो रहा है और खान-पान की आदतें भी बदल रही हैं. अब सिर्फ गेहूं-चावल ही नहीं, बल्कि फल, सब्जी, दूध, मसाले और प्रोसेस्ड फूड की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन दूसरी ओर खेती की जमीन  घट रही है. शहरों का विस्तार, उद्योग और जमीन का बंटवारा खेती के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं. ऐसे में FAIFA ने कहा कि अगर किसानों को मजबूत  नहीं किया गया, तो भविष्य की खाद्य जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो जाएगा.

खेती को मजबूत करने का रोडमैप

इस मौके पर FAIFA ने एक अहम व्हाइट पेपर भी जारी किया. इसमें भारतीय कृषि को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए चार बड़े स्तंभ बताए गए हैं. यह रोडमैप खेती को सिर्फ गुजारे की बजाय मुनाफे वाला और भविष्य के लिए तैयार बनाने की बात करता है. व्हाइट पेपर के मुताबिक अब समय आ गया है कि खेती को नई सोच , नई तकनीक और किसान-केंद्रित नीतियों के साथ आगे बढ़ाया जाए.

परंपरागत और प्राकृतिक खेती पर जोर

FAIFA ने प्रकृति के अनुसार खेती को सबसे अहम कदम बताया है. इसके तहत 2026 से 2030 तक करीब 10 हजार करोड़ रुपये निवेश कर 50 लाख हेक्टेयर जमीन को प्रकृति खेती से जोड़ा जाएगा. इस योजना का मकसद रासायनिक खाद  का इस्तेमाल 25 प्रतिशत तक कम करना और मिट्टी की सेहत सुधारना है. परमैकल्चर से पानी की बचत होती है, मिट्टी उपजाऊ  बनती है और फसलें मौसम की मार को बेहतर झेल पाती हैं. FAIFA का मानना है कि भारत को खेती के दम पर दुनिया के बड़े बाजारों में अपनी मजबूत पहचान बनानी चाहिए. इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये के निवेश से 50 नए एग्री-एक्सपोर्ट जोन बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. लक्ष्य है कि 2030 तक कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाए.

गैर-GMO बीज और देसी किस्मों की सुरक्षा

व्हाइट पेपर का तीसरा बड़ा फोकस है-भारत की गैर-GMO खेती की पहचान को बनाए रखना. इसके लिए 5 हजार करोड़ रुपये खर्च कर देसी बीजों को बढ़ावा दिया जाएगा. लक्ष्य है कि 2028 तक राष्ट्रीय बीज बैंक में देसी बीजों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ाई जाए और 100 नई जलवायु-सहनीय, उच्च उपज देने वाली गैर-GMO किस्में विकसित की जाएं. इससे किसानों को मजबूत बीज मिलेंगे और खेती ज्यादा सुरक्षित बनेगी.

किसानों के लिए आसान और सस्ता कर्ज

किसानों की सबसे बड़ी परेशानी  समय पर कर्ज न मिलना है. इसे दूर करने के लिए FAIFA ने डिजिटल और एआई आधारित कर्ज व्यवस्था की सिफारिश की है. हर साल 50 हजार करोड़ रुपये का कृषि कर्ज बांटने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि 2028 तक 50 मिलियन छोटे और सीमांत किसानों को कुल 25 लाख करोड़ रुपये का लाभ मिल सके.

केंद्रीय मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसान देश के विकास के केंद्र में हैं. डिजिटल खेती, देसी बीज, टिकाऊ कृषि और आसान फाइनेंस जैसे कदम भारत को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं. FAIFA अध्यक्ष मुरली बाबू ने भी कहा कि भारत ने अनाज उत्पादन  में बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन बढ़ती आबादी और बदलती जरूरतों के लिए अब खेती को नए स्तर पर ले जाना जरूरी है.

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Published: 18 Dec, 2025 | 09:20 PM
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